Book Title: Anand Pravachana Part 1
Author(s): Anandrushi
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 7
________________ आचार्य श्री के विचारों का प्रवचन रूप में शायद यह प्रथम ही संग्रह है। किन्तु प्रथम संग्रह भी 1 सभी दृष्टियों से सुन्दर बन पड़ा है। इसके मूल में आचार्य श्री के अनन्यतम सेवाभावी श्री कुन्दनऋषि जी की प्रेरणा व भावना का भी स्पष्ट पुट है। उनकी लगन और प्रयत्न से ही आचार्य श्री के इस विचार शरीन को साहित्य का स्थायी एवं दिव्य परिवेश प्रदान किया गया है, जिसकी कि बहुत समय से अपेक्षा थी । धर्मशीला बहन कमला 'जीजी' ने इनाका सुन्दर सम्पादन किया है। कुल मिलाकर 'आनन्द प्रवचन' मन को स्थायी आनंद प्रदान करने में सक्षम होगा, इसी आशा के साथ........... J ११-२-७२ आगरा ... - उपाध्याय अमरमुनि

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