Book Title: Ahimsa
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 8
________________ अहिंसा दादाश्री : अपनी पक्की अहिंसा पालने की भावना हो तो हमें अहिंसा पालनी चाहिए। फिर भी कोई व्यक्ति नहीं मानता हो तो उसे धीरे से समझाना चाहिए। वह भी धीरे-धीरे समझाएँ, जिससे वह मानने लगे। अपना प्रयत्न होगा तो एक दिन हो जाएगा। प्रश्नकर्ता : हिंसा रोकने के प्रयत्नों में निमित्त बनने के लिए आपने पहले समझाया था। जो अहिंसा के आचार को नहीं मानता हो तो उसे प्रेमपूर्वक समझाकर बात करनी चाहिए। पर प्रेमपूर्वक समझाने के बावजूद भी न माने तो क्या करना चाहिए? हिंसा चलने देनी या शक्ति द्वारा रोकने का प्रयत्न करना योग्य माना जाएगा? दादाश्री : हमें भगवान की भक्ति इस तरह करनी, जिन भगवान को आप मानते हों उनकी, कि 'हे भगवान, हर एक को हिंसा रहित बनाओ।' ऐसी आप भावना करना। खटमल, एक समस्या(?) प्रश्नकर्ता : घर में खटमल बहुत बढ़ गए हों तो क्या करें? दादाश्री : एक बार मेरे घर में खटमल बढ़ गए थे न! बहुत वर्षों पहले की बात है। वे सब यहाँ गरदन पर काटते थे न, तब मैं यहाँ पैर पर रख देता था। यहाँ गले पर का ही बस सहन नहीं होता था, इसलिए यहाँ गले पर काटें, तब पैर के पास रख देता था। क्योंकि अपनी होटल में आया और कोई भूखा जाए, वह फिजूल कहलाए न?! वह अपने यहाँ भोजन करके जाए तो अच्छा न! पर आपको इतनी अधिक शक्ति नहीं आएगी। इसलिए आपको वैसा नहीं कहता। आपको तो खटमल पकड़कर और बाहर डाल आना है। ताकि आपको मन में संतोष हो कि यह खटमल बाहर गया। अहिंसा भी सात काटेंगे, दूर डाल आओगे तब भी सात काटेंगे और कुछ नहीं करो तब भी सात काटेंगे। वह खटमल क्या कहता है? 'यदि तू कुलीन है तो हमें हमारी खुराक लेने दे और कुलीन नहीं है तो हम ऐसे ही खाकर जाएँगे, पर आप सो जाओगे तब । इसलिए तू पहले से ही कुलीनता रख न!' इसलिए मैं कुलीन बन गया था। पूरे शरीर पर काटते हों न, तो काटने दूं। खटमल मेरे हाथ की पकड़ में भी आ जाते थे। पर उसे यहाँ पैर पर वापिस रख देता। नहीं तो फिर भी नींद में तो पूरा भोजन कर ही जाता है न! और वह खटमल साथ में ले जाने के लिए दूसरा बर्तन नहीं लाया। अपने खुद के लायक ही खाकर वापिस घर चला जाता है और फिर ऐसा भी नहीं कि आराम से दस-पंद्रह दिन का एक साथ खा ले! इसलिए उसे भूखा किस तरह निकाला जाए?! हेय! कितने खाकर जाते हैं, आराम से! तब रात को हमें आनंद होता था कि इतने सारे भोजन कर गए, दो व्यक्तियों को भोजन कराने की शक्ति नहीं और ये तो इतने सारों को भोजन करवाया!! खटमलमार, आप खटमल मेकर हो? प्रश्नकर्ता : परन्तु घर में खटमल-मच्छर-कोक्रोच परेशान करें तो हमें कोई कदम उठाने चाहिए? दादाश्री : खटमल-मच्छर-कोक्रोच नहीं हों, उसके लिए हमें पोंछा वगैरह वह सब करना चाहिए, सफाई रखनी चाहिए। कोक्रोच जो हो गए हों, उन्हें पकड़कर हमें बाहर किसी जगह पर, बहुत दूर, गाँव से बाहर दूर जाकर डाल आना चाहिए। पर उन्हें मारना तो नहीं ही चाहिए। बहुत बड़ा कलेक्टर जैसा एक व्यक्ति था। उनके घर मुझे उन्होंने बुलाया था। मुझे कहते हैं, 'खटमल तो मार डालने ही चाहिए।' मैंने कहा, 'कहाँ लिखा है ऐसा?' तब वे कहते हैं. 'पर वे तो हमें काटते हैं और अपना खून चूस जाते हैं।' मैंने कहा कि, "आपको मारने का अधिकार कितना है, वह आपको नियमपूर्वक समझाता हूँ। फिर मारो या नहीं मारो, उसमें मैं आपको कुछ नहीं कहता। इस जगत् में कोई भी व्यक्ति एक अब नियम ऐसा है कि आप लाख खटमल बाहर डालकर आओ न, पर आज रात को सात काटनेवाले हों तो सात काटे बिना रहनेवाले नहीं हैं। आप मार डालोगे तब भी सात काटेंगे, घर के बाहर डाल आओगे तब

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