Book Title: Ahimsa Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 9
________________ अहिंसा खटमल खुद बना दे तो फिर मारना जो आप 'क्रियेट' कर सकते हो, उसका आप नाश कर सकते हो। आप 'क्रियेट' नहीं करते, उसका नाश आप नहीं कर सकते। " इसलिए जो जीव आप बना सकते हो, उसे मारने का अधिकार है। आप यदि बना नहीं सकते हो, यदि आप 'क्रियेट' नहीं कर सकते हो तो मारने का आपको अधिकार नहीं है। यह कुर्सी आप बनाते हो उस कुर्सी को तोड़ सकते हो, कप-प्लेट बनाओ तो तोड़ सकते हो, पर जो बनाया नहीं जा सकता, उन्हें मारने का आपको अधिकार नहीं है। प्रश्नकर्ता: तो वे काटने के लिए क्यों आते हैं? दादाश्री : हिसाब है आपका इसलिए आते हैं और यह देह कोई आपका नहीं है, आपकी मालिकी का नहीं है। यह सारा माल आप चोरी करके लाए हो, इसलिए उसमें से वे खटमल आपके पास से चोरी करके ले जाते हैं। वे सारे हिसाब चुकता हो रहे हैं। इसलिए अब मारना - करना मत । भगवान के बाग को नहीं लूटते ऐसा है, यहाँ बगीचा हो और बगीचे के बाहर अहाता हो। और अहाते के बाहर तोरई - लौकी, वह सब लटक रहा हो, उसके मूल मालिक की स्पेस के बाहर लटक रहा हो, फिर भी लोग क्या कहते हैं? 'अरे, यह तो उस सलिया का बाग है, मत तोड़ना। नहीं तो मियांभाई मार मारकर तेल निकाल देगा।' और कोई अपने लोगों का हो तो लोग तोड़ जाते हैं। क्योंकि वे समझते हैं कि यह बाग तो अहिंसक भाववाले का है। वे तो जाने देंगे। लेट गो करेंगे। और सलिया तो अच्छी तरह मार मारेगा। इसलिए सलिया बाग पर से एक तोरई या लौकी नहीं ली जा सकती, तो यह भगवान के बाग में से खटमल किसलिए मारते हो? भगवान का बाग आप लूटते हो?!! आपको समझ में आया? इसलिए एक भी जीव को नहीं मार सकते। तप प्राप्त तप... प्रश्नकर्ता: परन्तु खटमल काट खाए उसका क्या ? अहिंसा दादाश्री : पर उसकी खुराक ही खून है। उसे कोई हम खिचड़ी दें तो खाएगा? उसे बहुत घी डालकर खिचड़ी दें तब भी खाएगा ? ना । उसकी खुराक ही 'ब्लड' है। प्रश्नकर्ता: पर उसे काटने देना वह व्याजबी नहीं ही है न? ! ६ दादाश्री : पर उपवास करके अंदर आग लगती है वह चला लेनी ? ! तब यह तप करो न!! यह तप तो प्रत्यक्ष मोक्ष का कारण है। खुद खड़े किए हुए तप किसलिए करते हो? ! आ गए हैं वे तप करो न! वे आए हुए तप, वे प्रत्यक्ष मोक्ष का कारण है और खड़े किए हुए तप, वे संसार का कारण है। प्रश्नकर्ता : हाँ, बहुत मज़ेदार बात कही। वह बहुत खींचतान करके तप करते हैं, उससे तो यह जो आ पड़ें, वे तप होने दो। दादाश्री : हाँ, वह तो हम खींचकर लाते हैं और यह तो प्राप्त है, आ पड़ा है आराम से ! हम दूसरों को कोई बुलाने नहीं जाते। जितने खटमल आए हों उतने भोजन करें आराम से, 'तुम्हारा ही घर है।' फिर भोजन करवाकर भेजें। माता ने संस्कार दिया अहिंसा धर्म का हमारी मदर मुझसे छत्तीस वर्ष बड़ी थीं। मैंने मदर से पूछा कि, 'घर में खटमल हुए हैं, वे आपको काटते नहीं?' तब मदर कहती हैं, "भई, काटते तो हैं। पर वे थोड़े ही कोई टिफिन लेकर आते हैं दूसरे सब की तरह कि 'दीजिए हमें माईबाप ?' वह बेचारा कोई बरतन लेकर आता नहीं और उसका खाकर वापिस चला जाता है!" मैंने कहा, धन्य है माँजी को! और इस बेटे को भी धन्य है !! किसी को पत्थर मारकर आया होऊँ न, तो माँजी मुझे क्या कहती ? 'उसे खून निकलेगा। उसकी माँ नहीं है तो उस बेचारे की दवाई कौन करेगा? और तेरे लिए तो मैं हूँ। तू मार खाकर आना, मैं तुझे दवाई लगा दूँगी। मार खाकर आना, पर मारकर मत आना।' बोलो अब, ऐसी माँPage Navigation
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