Book Title: Agam Suttani Satikam Part 15 Nishitha
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
४१६
निशीथ-छेदसूत्रम् -१-५/३७६
[भा.२०४४] असिवे ओमोयरिए, रायदुढे भए व गेलण्णे ।
अद्धाण रोहए वा, जतणाए कप्पती वसितुं॥ मू. (३७७) जे भिक्खू सपरिकम्मं सेजं अनुप्पविसइ, अनुप्पविसंतं वा सातिज्जति ॥
चू- सह परिकम्मेण सपरिकम्मेण सपरिकम्मा, मूलगुणउत्तरपरिकर्म यस्यास्तीत्यर्थः तस्स मासलहुं आणाइया य दोसा। [भा.२०४५] सपरिकम्मा सेजा, मूलगुणे चेग उत्तरगुणे य ।
एक्केक्का वि य एत्तो, सत्तविहा होइ नायव्वा ।। चू- सपरिकम्मा सेज्जा दुविहा । एक्केका पुण सत्तविहा ।। इमे मूलगुणा सत्त[भा.२०४६] पट्टीवंसो दो धारणाओ चत्तारि मूलवेलीओ।
मूलगुण-सपरिकम्मा, एसा सेज्जा उ नायव्वा ॥ चू-इमे उत्तरगुणेसु मूलगुणा सत्त[भा.२०४७] वंसग कडणोक्कंपण, छावण लेवण दुवारभूमी य ।
सप्परिकम्मा सेज्जा, एसा मूलुत्तरगुणेसु॥ चू-वंस इति दंडगो, आकडणं कुड्डकरणं, दंडगोवरिओलवणं उकंपणं, दब्भातिणा छायणं, कुड्डाण लेवणं, बृहदल्पकरणंदुवारस्स, विसमाए समीकरणंभूकर्म, एसा सपरिकम्मा।उत्तरगुणेसु एते मूलगुणा इत्यर्थः ॥
इमे उत्तरोत्तरगुणा विसोहिकोडिट्ठिया वसहीए उवघायकरा । [भा.२०४८]दूमिय धूमिय वासिय, उज्जोवित बलिकडा अवत्ता य।
सित्ता सम्मट्ठा विय, विसोहिकोडी कया वसही॥ चू- दूमियं उल्लोइयं, दुग्गंधाए धूवाइणा धूवियं, दुग्गंघाए चेव पडिवासिणा वासाणं, रयणप्पदीवादिणा उज्जोवितं, कूरातिणा बलिकरणं, छगणमट्टियाए पाणिएणयअवत्ता, उदगेण केवलेण सित्ता, बहुकाराइणा सम्मट्ठा प्रमार्जिता ॥
इमं पच्छित्तं[भा.२०४९] अप्फासुएण देसे, सव्वे वा दूमितादि चउलहुआ।
अप्फासु धूमजोदी, देसे वितहिं भवे लहुगा॥ चू-दुमियाइ-सत्तसुपदेसुअफासुएण देसे सव्वेवा चउलहुअं, धूवजोती नियमादेव अफासुयं, एतेसु देसे वि चउलहुअं॥ [भा.२०५०] सेसेसु फासुएणं, देसे लहु सव्वहिं भवे लहुगा ।
सम्मजण साह कुसादिछिन्नमेत्तं तु सच्चित्तं । चू-सेसेसुपंचसु पएसु फासुएण देसे मासलहुं सव्वहिं चउलहुगा । सम्मजणं सचित्तेणं कहं भवति? भण्णति - सचित्तेण कुसादिणा छिण्णमेत्तेण संभवति ॥
वसधीए मूलुत्तरगुणसंभवे चउक्कभंगो भण्णति । [भा.२०५१] मूलुत्तरे चतुभंगो, पढमे बितिए य गुरुदुग-सविसेसा ।
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484