Book Title: Agam 42 Dasaveyaliyam Taiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 8
________________ न कारवेमि करंतं पि अन्नं न समणुजाणामि ; तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि । [४६] से भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, संजयविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे, दिआ वा, राओ अज्झयणं-४, उद्देसो वा, एगओ वा, परिसागओ वा, सुत्ते वा, जागरमाणे वा, से कीडं वा, पयंगं वा, कुंथं वा, पिपीलियं वा, हत्थंसि वा, पायंसि वा, बाहुंसि वा, उरुंसि वा, उदरंसि वा, सीसंसि वा, वत्थंसि वा, पडिग्गहंसि वा कंबलंसि वा, पायपुंछणंसि वा, रयहरणंसि वा गुच्छगंसि वा, उंडगंसि वा, दंडगंसि वा, पीढगंसि वा, फलगंसि वा, सेज्जंसि वा, संथारगंसि वा, अन्नयरंसि वा तहप्पगारे उवगरणजाए तओ संजयामेव पडिलेहिय पडेलिहय पमज्जिय पमज्जिय एगंतमवणेज्जा, नो णं संघायमावज्जेज्जा | [४७] अजयं चरमाणो अ, पाणभूयाइं हिंसइ । बंधइपावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। [४८] अजयं चिट्ठमाणो उ, पाणभूयाई हिंसइ । बंधइ पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। [४९] अजयं आसमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ । बंधई पावयं कम्मं, तं से होड़ कडुयं फलं ।। [५०] अजयं सयमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ । बंधइ पावयं कम्मं, तं से होइ कडुयं फलं ।। [५१] अजयं भुंजमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ । बंधई पावयं कम्मं, तं से होइ कडुयं फलं ।। [५२] अजयं भासमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ । बंधई पावयं कम्मं, तं से होइ कडुयं फलं ।। [ ५३ ] कहं चरे कहं चिट्ठे, कहमासे कहं सए । कहं भुंजतो, भासतो, पावकम्मं न बंधइ II [५४] जयं चरे जयं चिट्ठे, जयमासे जयं सए । जयं भुंजतो, भासतो, पावकम्मं न बंधइ ।। [५५] सव्वभूयप्पभूयस्स, सम्मं भूयाइं पासओ । पिहिआसवस्स दंतस्स, पावकम्मं न बंधइ || [ ५६ ] पढमं नाणं तओ दया, एवं चिट्ठ सव्वसंजए | अन्नाणी किं काही, किंवा नाही छेयपावगं [ ५७ ] सोच्चा जाणइ कल्लाणं, सोच्चा जाणइ पावगं । उभयं पि जाणइ सोच्चा, जं सेयं तं समायरे || [ ५८ ] जो जीवे विन याणइ, अजीवे वि न याइ । जीवाजीवे अयाणंतो, कहं सो नाहीइ संजमं [५९] जो जीवे वि वियाणेई, अजीवे वि वियाणइ | जीवाजीवे वियाणंतो, सो ह नाहीइ संजमं ॥ [7] [दीपरत्नसागर संशोधितः ] ? ।। ? ।। [४२-दसवेआलियं]

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