Book Title: Agam 42 Dasaveyaliyam Taiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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[४८३] अभिगम चउरो समाहिओ, सुविसुद्धो सुसमाहिअप्पओ ।
विउलहियं सुहावहं पुणो, कुव्वइ सो पयखेममप्पणो ।। [४८४] जाइमरणाओ मुच्चई, इत्थत्थं च चयइ सव्वसो | सिद्धे वा हवइ सासए, देवे वा अप्परए महिड्ढिए || त्तिबेमि
• नवमे अज्झयणे चउत्थो उद्देसो समत्तं .
नवमं अज्झयणं समत्तं .
० दसमं अज्झयणं-स भिक्खू . [४८५] निक्खम्ममाणाइ य बुद्धवयणे, निच्चं चित्तसमाहिओ हविज्जा |
इत्थीण वसं न यावि गच्छे, वंतं नो पडियायई जे स भिक्खू ।। अज्झयणं-१०, उद्देसो
[४८६] पुढविं न खणे न खणावए, सीओदगं न पिए न पियावए |
अगनि सत्थं जहा सुनिसियं, तं न जले न जलावए जे स भिक्खू ।। [४८७] अनिलेण न वीए न वीयावए, हरियाणि न छिंदे न छिंदावए |
बीयाणि सया विवज्जयंतो, सचित्तं नाहारए जे स भिक्खू ।। [४८८] वहणं तसथावराणं होइ, पढवितणकट्ठनिस्सियाणं ।।
तम्हा उद्देसिअं न भुंजे नो वि पए न पयावए जे स भिक्खू ।। [४८९] रोइय नायपुत्तवयणे, अत्तसमे मन्नेज्ज छप्पि काए |
पंच य फासे महव्वयाइं, पंचासवसंवरे जे स भिक्खू ।। [४९०] चत्तारि वमे सया कसाए, ध्वजोगी हवेज्ज बुद्धवयणे ।
अहणे निज्जायरूवरयए, गिहिजोगं परिवज्जए जे स भिक्खू ।। [४९१] सम्मदिट्ठी सया अमूढे, अत्थि हु नाणे तवे संजमे य ।
तवसा धुणइ पुराणपावगं, मनवयकायसुसंवुडे जे स भिक्खू ।। [४९२] तहेव असनं पानगं वा, विविहं खाइमं साइमं लभित्ता | होही अट्ठो सुए परे वा, तं न निहे न निहावए जे स भिक्खू ।। [४९३] तहेव असनं पानगं वा, विविहं खाइमं साइमं लभित्ता |
छंदिअ साहम्मियाण मुंजे, भुच्चा सज्झायरए जे स भिक्खू ।। [४९४] न य वुग्गहियं कहं कहेज्जा, न य कुप्पे निहुइंदिए पसंते ।
संजमे धुवं जोगेण जुते, उवसंते अविहेडए जे स भिक्ख || [४९५] जो सहइ हु गामकंटए, अक्कोसपहारतज्जणाओ य ।
भयभेरवसद्दसप्पहासे, समसुहदुक्खसहे य जे स भिक्खू ।। [४९६] पडिमं पडिवज्जिया सुसाणे, नो भीयए भयभेरवाइं दिस्स ।
विविहगुणतवोरए य निच्चं, न सरीरं चाभिकंखई जे स भिक्खू ।। [४९७] असई वोसट्ठचत्तदेहे, अक्ढे व हए व लूसिए वा ।
पुढविसमे मुनी हवेज्जा, अनियाणे अकोउहल्ले जे स भिक्खू ।।
[४९८] अभिभूय काएण परीसहाइं, समुद्धरे जाइपहाउ अप्पयं । दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४२-दसवेआलियं
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