Book Title: Agam 42 Dasaveyaliyam Taiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
संकिलेसकरं ठाणं, दूरओ परिवज्जए ।। [९२] पडिकुट्ठ कुलं न पविसे, मामगं परिवज्जए |
अचियत्त कुलं न पविसे, चियत्तं पविसे कुलं ।। [९३] साणीपावारपिहियं, अप्पणा नावपंगुरे ।
कवाडं नो पणोल्लिज्जा, उग्गहंसि अजाइआ ।। अज्झयणं-५, उद्देसो-१
[९४] गोअरग्गपविट्ठो उ, वच्चमत्तं न धारए |
ओगासं फासुअं नच्चा, अणुन्नविय वोसिरे ।। [९५] नीय दुवारं तमसं, कोट्ठगं परिवज्जए |
अचक्खुविसओ जत्थ, पाणा दुप्पडिलेहगा ।। [९६] जत्थ पुप्फाइं बीआई, विप्पइण्णाई कोहए |
अहुणोवलित्तं उल्लं द₹णं परिवज्जए || [९७] एलगं दारगं साणं, वच्छगं वा वि कोहए |
उल्लंघिया न पविसे विउहित्ताण व संजए || [९८] असंसत्तं पलोएज्जा, नाइदूराऽवलोयए ।
उप्फुलं न विनिज्झाए, नियट्टिज्ज अयंपिरो ।। [९९] अइभूमिं न गच्छेज्जा, गोअरग्गगओ मुनी ।
कुलस्स भूमि जाणित्ता, मियं भूमि परक्कमे ।। [१००] तत्थेव पडिलेहेज्जा भूमिफागं वियक्खणो । सिणाणस्स य वच्चस्स संलोगं परिवज्जए || [१०१] दगमट्टियआयाणे, बीयाणि हरियाणि अ ।
परिवज्जंतो चिद्वेज्जा, सव्विंदिअ समाहिए ।। [१०२] तत्थ से चिट्ठमाणस्स आहारे पानभोयणं ।
अकप्पिअं न गेण्हिज्जा, पडिगाहेज्ज कप्पिअं ।। [१०३] आहारती सिया तत्थ, परिसाडेज्ज भोयणं । देंतिअं पडिआइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं || [१०४] संमद्दमाणी पाणाणि, बीआणि, हरियाणि अ ।
असंजमकरिं नच्चा, तारिसिं परिवज्जए || [१०५] साहट्ट निक्खिवित्ताणं, सचित्तं घट्टियाणि य ।
तहेव समणट्ठाए, उदगं संपणोल्लिया ।। [१०६] ओगाहइत्ता चलइत्ता, आहारे पानभोयणं । देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पड़ तारिसं ।। [१०७] पुरेकम्मेण हत्थेण, दव्वीए भायणेण वा । देंतियं पडिआइक्खे, न मे कप्पड़ तारिसं ।। [१०८] एवं उदल्ले ससिणिद्धे, ससरक्खे मट्टिआओसे |
दीपरत्नसागर संशोधितः]
[10]
[४२-दसवेआलियं
Loading... Page Navigation 1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39