Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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उत्तराध्ययन भाग ३ अ. १५-२४ की विषयानुक्रमणिकाअनुक्रमाङ्क विषय
पृष्ठाङ्क १ पंद्रहवें अध्ययनका प्रारंभ और भिक्षुगुणप्रतिपादन २ सोलहवें अध्ययन का प्रारंभ और दश ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान ३७-८३ ३ सत्रहवें अध्ययन का प्रारंभ और पापश्रमणों के स्वरूपका वर्णन ८४-१०७ ४ अठारहवें अध्ययन का प्रारंभ और संजयनृपके चरित्र का वर्णन १०८-११२ ५ संजयमुनि चरित्रवर्णन में संजयनृपको मुनिके दर्शन ११३-११४ ६ मुनिके पास संजयनृपकी क्षमायाचना के लिये प्रार्थना ११५-११६ ७ संजयनृप को मुनिकी ओर से क्षमादान ८ संजयनृप को मुनिका उपदेश
११८-१२२ ९ मुनिके उपदेशसे राजा का प्रव्रज्याग्रहणकरना १२३-१२४ १० संजय मुनिके प्रति कोई एक मुनि के प्रश्न
१२५-१२६ ११ क्रियावाद्यादि मतका प्रतिपादन
१२७-१३४ १२ क्रियावादियों के पापकारित्वका वर्णन
१३५-१३६ १३ क्रियावादियों के मतके श्रवण से निवृत्ति के कारणका कथन १३७-१३९ १४ क्षत्रिय राजऋषिका उपदेश
क्षत्रिय रानऋषिद्वारा अपने आचार का प्रतिपादन- १४१-१४२ १६ आयुके ज्ञानके विषयमें जिनशासनके महत्त्वका प्रतिपादन १४३ १७ फिर से क्षत्रियराजऋषिका उपदेश १८ संजय मुनिको अपने कर्त्तव्य में रहने के उपदेश भरत चक्री
का उदाहरण १४५-१४६ १९ भरत चक्रवती की कथा
१४६-१५४ २. सगर चक्रवर्ती की कथा
१५५-१७६ २१ मघवा चक्रवर्ती की कथा
१७७-१८० २२ सनत्कुमार चक्रवर्ती की कथा
१८१-२११ २६ शांतिनाथ की कथा
२१२-२३४ २४ श्री कुंथुनाथ की कथा
२३५-२४०
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ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૩