________________ 42] [दशा तस्कन्ध __ से णं खुरमुंडए वा, लुचसिरए वा, गहियायारभंडगनेवत्थे, जारिसे समणाणं निगंयाणं धम्मे पण्णत्ते तं सम्मं काएणं फासेमाणे, पालेमाणे, पुरओ जुगमायाए पेहमाणे, वळूण तसे पाणे, उखट्ट पाए रोएज्जा, साहट्ट पाए रोएज्जा, तिरिच्छं वा पायं कटु रोएज्जा, सति परक्कमे संजयामेव परिक्कमेज्जा, नो उज्जयं गच्छेज्जा। केवलं से नायए पेज्जबंधणे प्रवोच्छिन्ने भवइ, एवं से कप्पति नायविहिं एतए। तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से घाउलोवणे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए / तत्थ से पुव्वागमणेणं पुवाउते भिलिंगसूवे, पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसूत्रे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए / तत्थ से पुटवागमणेणं दो वि पुवाउत्ताई, कप्पंति से दोऽवि पडिगाहित्तए। तत्थ से पुवागमणेणं दो वि पच्छांउत्ताई नो कप्पंति दोऽवि पडिगाहित्तए / जे से तत्थ पुन्वागमणेणं पुवाउत्ते से कप्पइ पडिगाहित्तए / जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते नो से कप्पइ पडिगाहितए। तस्स मं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविठ्ठस्स कप्पति एवं ववित्तए"समणोवासगस्स पडिमापडिवनस्स भिक्खं दलयह।" तं च एयारवेणं विहारेणं विहरमाणं केइ पासित्ता बदिज्जा५०--केइ आउसो! "तुमं वत्तव्वं सिया" ? उ.-"समणोवासए पडिमापडिवण्णए अहमंसो" ति वत्तव्वं सिया। से गं एयारवेणं विहारेणं विहरमाणे जहणणं एगाहं वा, दुआहं वा, तिमाहं वा जाव उकोसेणं एक्कारसमासे विहरेज्जा। से तं एकावसमा उवासगपडिमा। एयाओ खलु ताओ थेरेहि भगवंतेहि एकारस उवासगपडिमाओ पण्णतायो। हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है उन निर्वाणप्राप्त भगवान् महावीर ने ऐसा कहा है-इस जैन प्रवचन में स्थविर भगवन्तों ने ग्यारह उपासक-प्रतिमाएँ कही हैं। प्र०-भगवन् ! वे कौन-सी ग्यारह उपासक-प्रतिमाएँ स्थविर भगवन्तों ने कही हैं ? उ.-वे ग्यारह उपासक-प्रतिमाएँ स्थविर भगवन्तों ने इस प्रकार कही हैं, जैसे 1. दर्शनप्रतिमा, 2. व्रतप्रतिमा, 3. सामायिकप्रतिमा, 4. पौषधप्रतिमा, 5. कायोत्सर्गप्रतिमा, 6. ब्रह्मचर्यप्रतिमा, 7. सचित्तत्यागप्रतिमा, 8. प्रारम्भत्यागप्रतिमा, 9. प्रेष्यत्यागप्रतिमा, 10. उद्दिष्टभक्तत्यागप्रतिमा, 11. श्रमणभूतप्रतिमा / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org