Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 158
________________ दसती दशा भगवान महावीर का राजगृह में आगमन / तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था / वण्णम्रो / गुणसिलए चेइए / वण्णायो / रायगिहे नयरे सेणिए राया होत्था। रायवण्णओ जाव' चेलणाए सद्धि भोगे भुजमाणे विहरइ / तए णं से सेणिए राया अण्णया कयाइ हाए जाव' कप्परुक्खए चेव सुग्रलंकियविभूसिए रिदे / सकोरंट-मल्ल-दामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं जावससिव पियदसणे नरवई जेणेव बाहिरिया उवट्टाणसाला, जेणेव सिंहासणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिंहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसोइत्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी ___ "गच्छह णं तुम्हे देवाणुपिया !" जाइं इमाइं रायगिहस्स गयरस्स बहिया आरामाणि य, उज्जाणाणि य, पाएसणाणि य जाव' दब्भकम्मंताणि जे तत्थ महत्तरगा आणता चिट्ठति ते एवं वदह "एवं खलु देवाणुप्पिया ! सेणिए राया भंभसारे प्राणवेइ-जया णं समणे भगवं महावीरे, पादिगरे, तित्थयरे जाव' संपाविउकामे पुव्वाणुपुत्विं चरमाणे, गामाणुगामं दूइज्जमाणे, सुहं सुहेणं विहरमाणे, संजमेण तवसा अप्पाणं भावमाणे इहमागच्छेज्जा, तया णं तुम्हे भगवनो महावीरस्स अहापडिरूवं उग्गहं प्रणुजाणह, अहापडिरूवं उग्गहं अणुजाणेत्ता सेणियस्स रण्णो भंभसारस्स एयमलैं पियं णिवेदह।" तए णं ते कोडुबियपुरिसे सेणिएणं रन्ना भंभसारेणं एवं वुत्ता समाणा हद्व-तुट्ठ-चित्तमाणदिया पोइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणयिया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु - “एवं सामी ! तह ति" आणाए विणएणं बयणं परिसुणेति / पडिसुणित्ता सेणियस्स रनो अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता रायगिह नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जाई इमाई रायगिहस्स बहिया आरामाणि वा जाव जे तत्थ 1. उववाईसूत्र सु. 11 2. ज्ञाता. अ. 1, सु. 46, पृ. 94 अंगमुत्ताणि उववाईसूत्र सु. 48 4. प्राचा. श्रु. 2, अ. 2, उ. 2 5. उववाईसूत्र सु. 16 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206