Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Dasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ ४३० दसायो इत्ता भवति, आसादणा सेहस्स। १०. सेहे' राति णियेण सद्धि बहिया वियारभूमि निक्खंते समाणे 'पुवामेव सेहतराए आयामेइ पच्छा रातिणिए, आसादणा सेहस्स। ११. सेहे राति णिएण सद्धिं बहिया 'विहारभूमि वा" वियारभूमि वा निक्खंते समाणे तत्थ 'पुत्वामेव सेहतराए" आलोएति पच्छा रातिणिए, आसा दणा सेहस्स । १२. केइ रातिणियस्स पुव्वं संलत्तए सिया तं 'पुवामेव सेहतराए आलवति" पच्छा रातिणिए, आसादणा सेहस्स । १३. सेहे रातिणियस्स रातो वा विआले वा वाहरमाणस्स अज्जो ! के सुत्ते ? के जागरे ? तत्थ सेहे जागरमाणे रातिणियस्स अपडिसुणेत्ता भवति, आसादणा सेहस्स । १४. सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुवामेव सेहतरागस्स आलोएइ पच्छा राति णियस्स, आसादणा सेहस्स । १५. सेहे असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुवामेव सेहतरागस्स पडिदंसेति पच्छा रातिणियस्स, आसादणा सेहस्स। १६. सेहे असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुत्वामेव सेहतरागं उणिमंतेति इच्छा रातिणियं, आसादणा सेहस्स। १७. सेहे रातिणिएण सद्धि असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं 'रातिणियं अणापुच्छित्ता" जस्स स० २०. सेहे राइणियस्स खद्धं-खद्धं० सेहे रातिणियस्स वाहरमाणस्स तत्थगते. २१. सेहे राइणियस्स कि ति वइत्ता० सेहे रातिणियं किं ति वत्ता० २२. सेहे राइणियं तुमं ति वत्ता० सेहे रातिणियं तुमति वत्ता २३. सेहे राइणियं तज्जाएण-तज्जाएण. सेहे रातिणियं खद्ध-खद्धं वत्ता० २४. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स इति० सेहे रातिणियं तज्जाएण-तज्जाएण. २५. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स नो० सेहे रातिणियस्स कहं कहेमाणस्स इति० " , कह. , नो० " , परिसं० , णो सुमणसे , , सीसे० " , " , परिसं० सेज्जा संथारगं पाएणं. " " कहं० ३०. , , , संथारए चिट्टित्ता० तीसे ३१. . .. उच्चासणे चिट्टित्ता सेज्जा संथारगं पाएणं. ३२. , , समासणे , " " संथारए चिट्रित्ता ३३. , , आलवमाणस्स तत्थगते. , उच्चासणंसि वा समासणंसि वा० १. एवं एएणं अभिलावणं सेहे (ख) । ६. सेहे पुन्वतराग आलवेति (ता, स० ३३११) । २. तत्थ सेहे पुव्वत्तरागं आतमति (ता) । ७. जागरति (ता)। ३. ४ (ता)। ८. आसातणा (ता)। ४. सेहे पुन्वतरागं (ता)। ६. पुन्वमेव (स० ३३१) । ५. संलवत्तए (क, ख); संलवित्तए (स० १०. उवदंसेति (ता)। ३३३१)। ११. रायिणितं आणा० (ता)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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