Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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भाष्यगाथा २२३०-२२३६]
षष्ठ उद्देशकः तं पुण इमाए जयणाए
लिंगेण चेत्र किढिया, दियासु जा तिणि तेण परमूलं ।
तत्तो चउत्थभंगे, सेंसा भंगा पडिक्कुट्ठा ॥२२३२॥ सलिंगेण परलिंगे सेवमाणो गणाम्रो उपमुत्तथैरेहिं सदि अण्णवसहीए ठाविग्जति । तत्थंधकारे किरि-सड्ढोए मेलिज्जति, जहा अण्णोणं ण पस्संति । एवं तिष्णि वारा । जति उवसंतं सुदरं । उवसंतस्स पउगुर। तिण्हं वाराणं परतो परिसेवमाणस्स मूलं । तह वि अटुंतो ततो चउत्थ भंगे सेवति, तत्य वि तिणि वारा, परतो मूलं । सेना पढम-ततियभंगा पडिक्ट्ठा ॥२२३२।।
पढमभंगे इमा भवति -
सद्देसे सिस्सिणि सज्झऽतेवासिणी कुल-गणे य संघे य ।
कुलकण्णगा कुलवधू, विधवा य तहा सलिंगेणं ॥२२३३।। सदेसे परदेसे वा सिस्सिणी पडिसेवति, सज्झिवियं पडिसेवति, अंतेवासिणी पडिच्छिमा । अहवा - सझंतिगस्स अंतेवासिणी भर्तृज्जिकेत्यर्थः, कुले चियं, गणे चियं, संधे चियं वा सेवति । बितियभंगेण इमा जइ पडिसेवति -
पितृमातृविशुद्धा कुलकन्यां अभिण्णजोणी जति तं पडिसेवति, विगतषवं वा रंड, कुलवधू वा पडिसवति सलिंगेण ॥२२३३॥
ऐत्थ भंगेसु इमं पच्छित्तं -
लिंगम्मि य चउभंगो, पढमे भंगम्मि होति चरिमपदं ।
मूलं चउत्थभंगे. बितिए ततिए य भयणा तु २२३४॥ सलिंग परलिंगेहिं चउमंगो। तत्य पढमभंगे पडिसेवंतस्स णियमा चरिमपदं । चरिमे णियमा मूलं । बितिय ततियभंगेसु भयणा पच्छितं ।।२२३४॥ बितियभंगे इमा भयणा --
अण्णत्थ सलिंगेणं, कन्नागमणम्मि होति चरिमपदं ।
विहवाए होति णवभ, अविहवणारी य मूलं तु ॥२२३५।। 'अण्णत्थ'' ति - अण्णलिंगिणी, सलिंगेण पडिसेवति । कण्णं चरिम, विहवाए प्रणवट्ठो, प्र-विधवाए मूलं ॥२२३५॥ अहवा - बितियभंगे चेव इमं पच्छित्तं ।
अधवा पायावच्ची, कोडंबिणि दंडिणी य लिंगेणं ।
मूलं अणवठ्ठप्पो, चरमपदं पावती कमसो ॥२२३६।। पायावच्चीए मूलं, कोडंबिणोए प्रणवटुं, डंडिणीए चरिमं ॥२२३६।।
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