Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 447
________________ भाष्यगाथा २३६७-२३७६ ] अष्टम उद्देशक: मत्तए वोसिश्च पभाए थंडिले परिवेंति, तत्थ सग्निवेसे वा गते वोसिरति परिवेति वा । ग्रह पिट्ठतो भयं प्रणषियासो वा ताहे धम्मादिपदेसेसु वोसिरति । दारं । इदाणि "तम्मि भए" पच्छद्ध। जो ण परचक्कादिभएण संव? पइट्ठा तम्मि पत्ते परचयके धाडियागमे वा सव्वोवकरणं गुविलपदेसे ठवे "प्रवाउडा एकतो"त्ति अण्णतो एकपदेसे ठायंति ॥२३७१॥ कम्हा एवं करेंति ? भण्णति - जिणलिंगमप्पडिहतं, अवाउडा वा वि दळु वज्जेति । थंभणि मोहणिकरणं, कतजोगो वा भवे करणं ॥२३७२॥ प्रचेलिया जिणलिंग उस्सग्गे ठिया य, एवं ठिते ण कोति उवयेति, एस उववातो अपडिलेहितो जिणमुद्रेत्यर्थः। अहवा- ते तेण प्रा अवाउडे द४ सयमेव वजंति, विज्ज-मंतपभावेण थंभण-मोहणं करेति, सहस्सजोही वा तीसत्थे वा कयजोगो तस्स तारिसे प्रापं उभयगच्छसंरक्खणट्ठा करणं भवे। दारं ॥२३७२॥ "संव?" ति गतं । इदाणि "रेणगररोहे" त्ति दारं - संवट्ट णिग्गयाणं, णियट्टणा अद्धरोधजयणा य । भत्तद्वण थंडिल्ले, सरीरभिक्खे विगिचणता ॥२३७३।। जे मासकप्पखेत्ता गिग्गंतु संबट्टे ठिया ते संवट्टणिग्गया। ते इदाणि 3 उखंदचोरएणं संवट्टातो णियत्तिउ णगरं पविट्ठा ॥२३७३।। जे अणगारा तो ण णिग्गता तेसि इमा अट्टमासे रोहगजयणा भण्णति - "हाणी जा एगट्ठा, दो दारा कडग चिलिमिणी वसभा। तं चेव एगदारे, मत्तगसुधोवणं च जतणाए ॥२३७४॥ रोहे उ अट्ठमासे, वासासु सभूमिए णिवा जंति । रुद्ध उ तेण गगरे, हावंति ण मासकप्पं तु ॥२३७॥ अट्ट उदुबद्धिते मासे रोहेउं णिवा वासासु अप्पणो रजाति गच्छति, उडुबद्धे रोहिते तहााव साधू सासकणो ण हावियचो, अट्ठवसहीमो अट्ठभिक्खायरियातो, अवसहीनो अमुचंतेण भिक्खायरियानो ॥८॥ ६॥५॥४॥३॥२॥१॥ पुणो वि सत्तवसहीमो प्रमचंतेण अटादी भिक्खायरिया । एवं - जाव - एगा वसही एंगा भक्खायरिया । एतदुक्तं भवति "हाणी जा एगट्ट।" इमा य गाहा एत्थ - प्रत्थे जोएयव्वा ।।२३७५।। भिक्खस्स व वसधीय व, असती सत्तेव चतुरो जा एक्का । लंभालंभे एक्केक्कगस्सऽणेगा उ संजोगा ॥२३७६॥ कंठा । दारं ॥२६७६॥ “प्रद्धरोधगजयण" त्ति गयं । १ प्राकंपेउ भए गच्छ । २ गा० २३६५ । ३ घेरा डालना अथवा शत्रु को छल से मारना । ४ वक्खा गां० २३७५, २२७६, २३७७ । ५ गा० २३७४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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