Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Churni
Author(s): Sthaviracharya, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 6
________________ प्रकाशकीय भगवतीचूर्णि का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यन्त आनन्द की अनुभूति हो रही है। व्याख्याप्रज्ञप्ति अपरनाम भगवतीचूर्णि जैन आगम ग्रंथो में एक महत्त्वपूर्ण आगम ग्रंथ है। प्रस्तुत आगम ग्रंथ पर रची गई चूर्णि अद्यावधि अप्रगट थी । मूल ग्रंथ की जटिलता और चूर्णि ग्रंथ की विशिष्ट शैली के कारण भी प्रस्तुत ग्रंथ अप्रगट रहा था । सांप्रत ग्रंथ के संपादन करने का प्रयास भी हुआ किन्तु ग्रंथ की दुरुहता के कारण संपादन कार्य रुका ही रहा । बहुत बडी इस चुनौती की बात हमने पं. श्री रूपेन्द्रकुमार पगारियाजी को कही। उन्हों ने चुनौति का स्वीकार किया और संपादन कार्य प्रारंभ किया। उपलब्ध हस्तप्रतों के आधार पर कठिन कार्य का आरंभ तो हुआ किन्तु आपके सामने भी बहुत कठिनाईयाँ आई किन्तु आपने संपादन कार्य चालु ही रखा और धीरे धीरे गति, प्रगति होती रही । हमें इस बात का आनन्द है कि आज प्रस्तुत महत्त्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है । पं. रूपेन्द्रकुमारजी पगारियाजी प्राकृत भाषा एवं जैन धर्म शास्त्र के विद्वान है । आपने कई अप्रकाशित प्राकृत ग्रंथो का संपादन किया उसी शृंखला में आज एक नई कडी जुड़ रही है । आपने अपार परिश्रम करके प्रस्तुत ग्रंथ प्रकाशित किया है जिसके लिए हम आपके आभारी है। हमें आशा है कि प्रस्तुत ग्रंथ जैन आगम शास्त्र के अध्येताओं को, जिज्ञासुओं को और धर्म-दर्शन के संशोधको को उपयोगी सिद्ध होगा । प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन कार्य में सहयोग देने वाले सभी को हम आभार व्यक्त करते हैं। - जितेन्द्र बी. शाह फरवरी, २००२ अहमदाबाद Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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