Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text ________________
समयार्थचोधिनी टीका द्वि. श्रु. अ.७ हिंसात्यागविषयक प्रश्नोत्तरंच ७१७
मूलम्-सवायं उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं वयासीआउसंतो गोयमा! णत्थि णं से केइ परियाए जण्णं समणोवासगस्स एगपाणाइवायविरए वि दंडे निक्खित्ते, कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पागा, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायंति, तसा वि पाणा थावरत्ताए पच्चायंति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उववति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायांस उववज्जति, तेसिं च णं थावरकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं घतं । सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-णो खलु आउसो! उदगा अस्माकं वत्तब्बएणं तुभं चेव अणुप्पवादेणं, अत्थि णं से परियाए जेणं समणोवासगस्त सव्वपाणेहिं सव्वभूएहिं सबजीवेहिं सव्यसत्तेहिं दंडे निक्खित्ते भवइ, कस्स णं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, तसा वि पाणा थावरत्ताए पच्चायंति, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायंति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायंसि उववज्जंति, थावरकायाओ विष्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उववज्जंति, तेसिं च णं तसकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं अघतं, ते पाणा वि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चति, ते महाकाया ते चिरहिइया, ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवति, ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अप्पच्चक्खायं भवइ, से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्रियस्स पडिविरयस्स जन्नं तुन्भे
શ્રી સૂત્ર કૃતાંગ સૂત્રઃ ૪
Loading... Page Navigation 1 ... 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795