________________
विद्या विकास फण्ड, ग्रन्थाङ्क - १३
आचाराङ्ग : पढम सुत-रवंध
पढम अज्झयन
[ हस्तप्रतों में उपलब्ध प्राचीन शब्द-रूप (पांठों) के आधार
पर भाषिक दृष्टि से पुनः सम्पादन ]
डॉ. के. आर. चन्द्र
__ भूतपूर्व अध्यक्ष प्राकृत-पालि विभाग, भाषा साहित्य भवन गुजरात युनिवर्सिटी, अहमदाबाद-३८०००९
प्रकाशक
प्राकृत जैन विद्या विकास फंड
अहमदाबाद
१९९७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org