Book Title: Adhyatmik Bhajan Sangrah
Author(s): Saubhagyamal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 92
________________ विभिन्न कवियों के भजन १८२ आध्यात्मिक भजन संग्रह १८. छांड दे अभिमान जियरा छांड दे अभिमान रे (राग ख्याल तमाशा व गजल) छांड दे अभिमान जियरा छांड दे अभिमानरे ।।टेर ।। कहाँ को तू और कौन तेरे सब ही हैं महमान रे। देख राजा रंक कोऊ थिर नहीं या थानरे ।।१।। जगत देखत तोर चलबो तूभी देखत आनरे । घड़ी पल की खबर नाहीं कहाँ होय विहानरे ।।२।। त्याग क्रोधरु लोभ माया, मोह मदिरा पान रे। राग दोष हि टार अन्तर, दूरकर अज्ञान रे ।।३।। भयो सुर पुर देव कबहू कबहू नरक निदानरे । इक कर्म वश बहु नाच नाचे भइया आप पिछानरे ।।४ ।। १९. नैना क्यों नहिं खोलै (राग ख्याल तमाशा व गजल) नैना क्यों नहिं खोले, गति गति डोलैरे अज्ञानी। चेतो क्यों नहिं ज्ञानी, तूतो करता अपनी हानी ।।टेर ।। नरभव पाया, सुथल में जाया, सुकुल में आया। सुना कर जिनवानी, तजदे तू आनाकानी तेरीमति भई बोरानी ।।१।। विषयों से भाग, कषायों को त्याग, शुभ पथ लाग। चली यह जिंदगानी ज्यों अंजुलि झरता पानी, तू करता है क्यों मनमानी ।।२।। संयम धार काम को मार, अनुभव सार । जग में सब जानी तू बनजा ज्ञानी ध्यानी, 'नानू' उत्तम सीख सयानी ।।३।। २०. यह मजा हमको मिला पुद्गल की यारी में (राग बिहाग ) यह मजा हमको मिला पुद्गल की यारी में । केई जन्म मरण किये निगोद ख्बारी में ।। श्वास एक माहिं मरण ठारा बारि मैं, अक्षर के अनन्त भाग सुज्ञान धारी मैं ।।१।। अंगुल असंख भाग माहिं देहधारी मैं। करके निवास चिदानन्द हुआ भिखारी मैं ।।२।। चिद चैन गुण अनन्ते सब कू विसारी मैं । गुरु चरण की सहाय हुआ सुगुण धारी मैं ।।३ ।। २१. इस नगरी में किस विधि रहना (राग सोहनी) इस नगरी में किस विधि रहना, नित उठ तलब लगाबेरी सहैना ।।टेर ।। एक कुवे पाँचों पणिहारी, नीर भरै सब न्यारी न्यारी ।।१।। बुर गया कुवा सूख गया पानी, बिलख रही पाँचों पणिहारी।।२।। बालू की रेत ओसकी टाटी, __ उड़ गया हंस पड़ी रही माटी ।।३।। सोने का महल रूपे का छाजा, ____ छोड़ चले नगरी का राजा ।।४ ।। 'घासीराम' साँझ का मेला, उड़ गया हाकिम लुट गया डेरा ।।५।। watak kalah Data (९२)

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