Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta

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Page 7
________________ पुष्पांजलि लइ नीचेनो श्लोक बोलवो नानासुगन्धि-पुष्पौघ-रजिता चञ्चरीक-कृतनादा । धूपामोद-विमिश्रा, पततात्पुष्पाञ्जलि-र्बिम्बे ॥ म हाँ ही हूँ पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामीति स्वाहा । ए मंत्र बोली पुष्पांजलि थी पूजन करतूं । अभिषेक प्रारंभ * पहेलु (हिरण्योदक) स्नात्र * सुवर्णना चूर्णथी (सोनाना वरख मिश्रित न्हवणथी) चार कलशो भरी 'नमोऽर्हत्' कही नीचेनो श्लोक बोलवो - पवित्रतीर्थनीरेण, गन्धपुष्पादिसंयुतैः । पतज्जलं बिम्बोपरि, हिरण्यं मन्त्रपूतनम् ||१|| सुवर्णद्रव्यसम्पूर्णं, चूर्णं कुर्यात्सुनिर्मलम् । ततः प्रक्षालनं चाभिः पुष्पचन्दनसंयुतै : ||२|| “ ॐ हाँ ह्रीं परम अर्हते गन्धपुष्पाक्षतधूपसम्पूर्णै: स्वर्णेन स्नापयामीति स्वाहा” ए मंत्रोच्चारपूर्वक स्नात्र करी बिंबने तिलक, पुष्प, वास, धूप विगेरेथी • पूजन करवू । ए रीते दरेक स्नात्र वरवते करता रहेवू ।। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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