Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta
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|* बारमु (गन्ध) स्नात्र * १. केशर, २ कपुर, ३ कस्तुरी, ४ अगर, ५ चन्दन ए घसी जलमां नाखी 'नमोऽर्हत्' कही - गन्धाङ्गस्नानिकया, सन्मृष्टं तदुदकस्य धाराभि : । स्नपयामि जैनबिम्बं कौघच्छित्तये शिवदम् ॥9॥ कुंकुंमादिकप्र्पूरथ्य, मृगमदेन संयुत :। अगरश्चन्दनमित्रैः, स्नाययामि जिनेश्वरम् ||२|| "ॐ हाँ ह्रीं परम अर्हते गन्धेन स्नापयामीति स्वाहा
| * तेरk (वास) स्नात्र * १. चंदन, २ केशर अने ३. कपूरनु चूर्ण करी कलश भरवाना जलमां नाखवू 'नमोऽर्हत्' कही - हृद्यै-राह्लादकरैः स्पृहणीयै-मन्त्रसंस्कृतै-जैनम् । स्नपयामि सुगतिहेतो-वसैिरधिवासितं बिम्बम् ॥१॥ शिशिरक र-क राभै - श्यन्दन श्यन्द्र मिश्र बहुल परिमलौघैः प्रीणितं प्राणगन्धै : । विनमदमर-मौलि: प्रोक्त-रत्नांशु-जालै :, जिनपतिवरश्रृङ्गेस्नापयेद्भावभक्त्या
॥२॥ "ॐ हाँ ही परम अर्हते सुगन्धवासचूर्णैः स्नापयामीति स्वाहा"
व
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