Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta

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Page 34
________________ आ काव्य तथा मंत्र भणीने प्रतिमाने आभूषण पहेराववां, वस्त्रयुगल चढावq अने - सज्जैः प्राज्याज्ययुक्तैः परिमलबहुलैर्मोदकैर्मिश्रिरखण्डै: . . खाद्यायैलापनश्रीघृतवरपृथुलापूपसारैरुदारैः । स्निग्धौघोभिनितान्तंचरुभिरभिनवै. कर्मवल्लीकुठारान्, चापे (ये.) निर्मायधुपान् सुरनरमहितानचयेदर्हम्यान् ||१|| ॐ हाँ ह्रीं परमअर्हते नैवेद्यनार्चयामीति स्वाहा । आम काव्य सहित मंत्र भणीने नैवद्य चढावq अने बलिबाकुला उछालवा ॥ इति अभिषेक विधि ॥ सौभाग्य मंत्र ॐ अवतर अवतर सोमे सोमे, कुरु कुरु, वग्गु वग्गु निवग्गु निवग्गु, सुमणे सोमणसे महु महुरे ॐ कविल ॐ कः क्ष: स्वाहा । रक्षा पोटली मंत्र - ॐ हूँ सू फुट् किरिटि किरिटि घातय घातय, परकृतविघ्नान् स्फेटय स्फेटय, सहस्त्रखण्डान् कुरु कुरु, परमुद्रां छिन्द छिन्द, परमान्त्रान् भिन्द भिन्द हूँ क्ष: फुट् स्वाहा । रक्षा पोटली बांधवानो मंत्र ॐ नमोऽर्हते रक्ष रक्ष हुँ फुट् स्वाहा । 30 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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