Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta
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इंद्राणी ना पाउल ठमके छे .... देरासर प्रभु समवसरणमा बिराजे छे जस चोत्रीश अतिशय छाजे छे गुण पात्रीश वाणीये गाजे छे ..... देरासर
देखी श्री पार्श्वतणी मुरती अलबेलडी उज्वल भयो अवतार रे, मोक्षगामी भवती उगारसो
शिवगामी भवथी उगारसो .... ॥ . . मस्तके मुगुट सोहे, काने कुंडलीयां, गले मोतन का हार रे, मोक्षगामी ...
॥१॥
झगमगता तारलानुं देरासर होजो अमां मारा प्रभुजी नी प्रतिमा होजो सुंदर सोहामनी आंगी होजो. अमां मारा प्रभुजी नी प्रतिमा होजो ...... झगमगता
अमे अमारा प्रभुजी ने फुलोथी सजावीशु फूलो ना मळे तो अमे कलियोथी सजावीशु कलीयो मा सुंदर मोगरा होजो ... झगमगता
कोण भरे, कोण भरे, कोण भरे रे शेव्रुजी नदीनां पाणी कोण भरे रे हुरे भरू ने मारी सैयर भरे
मारी सैयर भरे ..... शेजूंजी .... उंचा उंचा डुंगरा ने दादा बेठा उंचा पाणी लइ जातां मारी केड नमे
मारी केड नमे ..... शेजी .....
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