Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta

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Page 42
________________ तारी मरती तो मोहनगारी रे सहु ने लागे छे ते प्यारी रे __मारा अंतरमा आवो ने नाथ ........ सुरज आज तारु मंदिर सुंदर शोभे छे जाणे देव विमान ओ तो लागे छे पेली ध्वजाओ फरके फर फर ....... सुरज आज १२) वर्षगांठना अवसर आव्या मारा वाला वर्षगांठना अवसर आव्या रे लोल पार्श्वप्रभूना द्वारे मारा वाला पार्श्वप्रभूना द्वारे रे लोल ढोल वाजिंत्र वगडावो मारा वाला ढोल वाजिंत्र वगडावो रे लोल ....... हळीमळी ने सह आवे प्रभु द्वारे . हळीमळी ने सहु आवे रे लोल ...... रुडी रुडी ध्वजाओ फरकावो शिखर पर रुडी रुडी ध्वजाओ फरकावो रे लोल ...... १३) वर्षगांठना पावन प्रंसगे, आव्या तुम्हारे द्वार ____ आव्या रे आव्या भक्ति करवा, आव्या प्रभुना द्वार ....... वर्षगांठना प्रभू भक्तिनो महिमा छे भारी, कहेता ना आवे पार ऐना प्रभावे मंगल थाये, वर्ते जयजयकार ... ....... वर्षगांठना १४) ककुं छांटी कंकोतरी मोकली, माय लखजो शुभ संदेश ओच्छवमां पधारजो मारा प्रभुजीनी वर्षगांठ आवी रे दशम दिन ध्वजा चढाय, ओच्छवमां पधारजो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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