Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta

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Page 16
________________ (चन्द्र-सूर्य-दर्शन करावाय, न होय तो बिम्बों ने आरीसो देखाडवो) १. चन्द्र दर्शन : ॐ अर्ह चन्द्रोऽसि निशाकरोऽसि सुधाकरोऽसि चन्द्रमाअसि ग्रहपतिरसि कौमुदीपतिरसि मदनमित्रमसि जगज्जीवनमसि जैवातकोऽसि क्षीरसागरोद्भवोऽसि श्वेतवाहनोऽसि राजासि राजराजोऽसि औषधिगभौऽसि वन्द्योऽसि पूज्योऽसि नमस्ते भगवन् ! अस्य कुलस्य ऋद्धिं कुरु वृद्धिं कुरु कुरु तुष्टिं कुरु कुरु पृष्टि कुरु कुरु जयं कुरु कुरु विजयं कुरुकुरु भद्रं कुरु कुरु प्रमोदं कुरु कुरु श्री शशाङ्काय नमः । ॐ अर्ह सर्वौषधिमिश्रमरीचिजालः, सर्वापदां संहरणप्रवीणः । करोतु वृद्धिं सकलेऽपि वंशे, युष्माकमिन्दुः सततं प्रसन्न : ॥१॥ 12 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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