Book Title: Adhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Author(s): Arvind K Mehta
Publisher: Arvind K Mehta

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Page 5
________________ $$$ FFFF乐 明步5期 F ॥ जैनं जयति शासनम् ॥ पू. उपाध्याय श्री सकलचन्द्रजी गणि संकलित, [ श्री अढार अभिषेक विधि * पंच परमेष्ठि वन्दना * अर्हन्तो भगवन्त इन्द्रमहिता : सिद्धाश्च, सिद्धिस्थिता, आचार्या जिनशासनोन्नतिकरा: पूज्याउपाध्यायका: । श्री सिद्धान्तसुपाठ का मुनिवरा, रत्नत्रयाराधका: पञ्चैतेपरमेष्ठिन: प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मङ्गलम् ||१||(२७ डंका) मला नमो अरिहंताणं, ना नमो सिद्धाणं, नया नमो आयरियाणं, मी नमो उवज्झायाणं, नशा नमो लोए सव्वसाहूणं || (त्रण वार बोलवू) (२७ डंका) । ||१|| [* वज्र पञ्जर स्तोत्र * परमेष्ठिनमस्कारं, सारं नवपदात्मकम् । आत्मरक्षाकरं वज्र-पञ्जराभं स्मराम्यहम् नमो अरिहंताणं, शिरस्कं शिरसि स्थितम् | ॐ नमो सव्वसिद्धाणं, मुखे मुखपटं वरम् '४ नमो आयरियाणं, अङ्गरक्षाऽतिशायिनी । ॐ नमो उवज्झायाणं, आयुधं हस्तयोदृढम् ||२|| ||३|| Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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