Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan Author(s): Kiran Srivastav Publisher: Ilahabad University View full book textPage 5
________________ विषयानुक्रम पृष्ठ प्रथम अध्याय 1-24 प्रस्तावना (काव्यमीमांसा की महत्ता) आचार्य राजशेखर का व्यक्तित्व और कृतित्व :- काल (अन्त:साक्ष्यों तथा बहि:साक्ष्यों का आधार), जन्मस्थान एवं वंश, कुल परम्परा, व्यक्तित्व, विदुषी पत्नी, कर्मभूमि-कन्नौज, रचनाएँ। द्वितीय अध्याय 25-63 काव्यमीमांसा के विविध रोचक प्रसङ्ग (क) आचार्य राजशेखर का काव्य पुरूष (ख) काव्य एवम् साहित्य (ग) रीति, वृत्ति एवं प्रवृत्ति (घ) काकु एवं काव्यपाठ। तृतीय अध्याय 64 - 140 'काव्यमीमांसा' में काव्यहेतु तथा कविशिक्षा शक्ति एवम् प्रतिभा, प्रतिभा से सम्बद्ध कविभेद, व्युत्पत्ति, कविशिक्षा एवम् अभ्यास, कवि की शिष्यावस्था, विभिन्न शिष्यों का कविस्वरूप, शिष्य का कवि बनने का विकासक्रम-कवि की अवस्थाएँ, कविभेद तथा कवियों के गुण, अभ्यास के उपाय, काव्यपाक, कवियों का काव्यरचनाकाल, दिनचर्या, स्वभाव, स्वास्थ्य, स्वच्छता, परिचारकगण, सम्बन्धी तथा मित्र, सहायकPage Navigation
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