Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03 Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya Publisher: Vishveshvar Dayaluji VaidyarajPage 16
________________ एप्रोपाइरम् १७४८ Dog.grass (अं०)। ग्याहसग (फा०)। (अं०)। श्वतृण की तरल रसक्रिया । खुलासहे श्वानतृण, कुत्ताघास-हिं० । हशीशतुल कल्ब- हशीशतुल कल्ब । सय्याल उसारा ग्याह सग। अ०। निर्माण-विधि:-एग्रोपाइरम् का नं० २० तृण वर्ग का चूर्ण २० श्राउंस, एलकोहल (१००) और पानी आवश्यकतानुसार । पहले चूर्ण को (N. 0. Graminaceae) तीन बार करके १०० पाउंस खौलते हुए पानी में उत्पत्तिस्थान-यह घास प्राष्ट्रलिया तथा पूरबी पकाएँ अथवा किंचित् उष्ण स्थान में देर तक तथा उत्तरीय अमेरिका के उपनिवेशों में उपजती है। भिगो रखें और इससे जो द्रव प्राप्त हो, उसे इतना इस घास की जड़ औषधार्थ व्यवहार में आती है। आँच पर उड़ाएँ, कि १५ अाउँस द्रव अवशिष्ट रह इसे वसंत-ऋतु में इकट्ठा करते हैं और इस पर से जाय । फिर उसमें ५ अाउँस एलकोहल मिलाकर तंतु श्रादि पृथक् कर लेते हैं। उसे छान लें। जड़-हलके पीत वर्णके से 1 इंच लंबे टुकड़े, मात्रा-१ से २ फ्लुइड डाम-(२ से धन जिनका व्यास प्रायः - से - इंच तक होता है । शतांशमीटर) १२ १० प्रत्येक टुकड़े को लम्बाई में एक रेखा होती है गुण-धर्म तथा प्रयोगऔर वह मध्य से खाली होती है । इसमें से किसी यह एक उत्कृष्ट स्निग्धतासम्पादक ( Dem. प्रकार की गंध नहीं पाती. स्वाद किंचित् मधुर uleent) और मूत्र-प्रवर्तक श्रौषध है। इसको होता है। इसमें से गोंद की तरह एक सत्व निक अधिकतर वस्ति-प्रदाह और पूयमेह में देते हैं। लता है, जिसे ट्रिटिसोन ( Triticin ) अर्थात् नोट-कहते हैं कि इसकी ताजी जड़ में ही श्वतृण सत्व कहते हैं। उक्न गुण वर्तमान होता है । सूखी जड़ उक्न गुण से हीन होती है। सम्मत योग एग्रोपायरोन-रीपेंस-[ ले० Agropyron (Official preparations) Repens, Beauv. ](Couch-grass) (१) डिकॉक्टम् प्रोपाइराई-Decoctum | श्वानतृण । दे० "एग्रोपाइरम्" । Agropyri (ले०)। डिकॉक्शन ऑफ एग्रो- | एजल-[ते. ] तेलनी मक्खी । पायरम् Decoction of Agropyrum | एजिलैप्पालै-ता०] (Alstonia Schola(अं० ) । श्वतृण काथ । जोशाँदहे हशीशतुल्- | ris. Br.) सतिवन । सप्तपणं । छातिम । कल्ब- (१०) । जोशाँदहे ग्याह सग-(फा०) एजीसेरास-ग्रेटर-[अं० Aegi-) निर्माण-विधि-एग्रोपाइरम् अर्थात् कौचग्रास ceras greater. (एक प्रकार का की जड़ के छोटे-छोटे काटे हुये टुकड़े १ पाउंस एजीसेरास-मेजस-ले० Aegi. | पेड़। हलसी। ceras majus] और पानी २० फ्लुइड पाउंस । दवा को पानी में एटिपाल-[ते. ] पानी जमा । जल जमनी । छिरेहटा । १० मिनट तक कथित करें । पुनः शीतल होने पर छिलहिँड । सेवटा। छान लें। एटिपुच्च-[ते. ] इन्द्रायन । इन्द्रवारुणी । मात्रा-1 से २ फ्लुइड ग्राउंस=(१५ से ६० एटोट-[ले० ] एक प्रकार की ओषधी । घन शतांशमीटर) एटोम-संज्ञा पु० [अं० Atom ] परमाणु । प्रभाव-मूत्रप्रवर्तक । एट्रोपा-[ले. Atropa ] दे॰ “ऐट्रोपा" । (२) एक्स्ट क्टम् एग्रोपाइरी लिक्विडम् एट्टिक-कोट्टै- ता० ] कुचिला । कारस्कर । विषमुष्टि । Extractum Agropyri Liqidum एड-वि० [सं० त्रि० ] बधिर । बहिरा । श्रमः । (ले०)। लिक्विड एक्स्ट क्ट ऑफ एग्रोपायरम् । । संज्ञा पु० [सं० पु.] मेष । मेढ़ा । भेड़ा । Liquid Extract of Agropyrum | संज्ञा स्त्री० [सं० एडूक हड्डी या हड्डी की तरहPage Navigation
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