Book Title: Aayurvediya Kosh Part 03
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 15
________________ एखण्ड १७४७ एग्रोपाइरम् एक्स-रश्मियों की मात्रा प्लेट पर असर करती है।।। मन-[अं॰ egg-plant, commपुनः इस प्लेट को अंधेरे कमरे में ले जाकर लाल- on ] जंगली बैंगन । वृहती । वनभंटा । प्रकाश के सामने उसका परीक्षण किया जाता है, एगलांट, सिलिण्डिकल-[अं॰ egg-plant, जिससे प्लेट पर अस्थि, मांस, त्वक् श्रादि का चित्र cylindrical ] कौलो बैंगन । लंबा भंटा । बन जाता है। एगफ्लिप-[अं॰ egg-flip] मद्यांड प्रपानक । एक्स-रश्मियों से चिकित्सा में भी सहायता | दे. "एलकोहल'' प्राप्त की जाती है । कतिपय त्वग् रोगों में इसका | एगिस-[ते०] विजयसार । पीतशाल । उपयोग अतीव हितावह प्रमाणित हुआ है। कंडू एगेथीन-[अं॰ agathin] एक औषध जिसकी सफ़ेद रोग में जब कोई अन्य चिकित्सा-विधि कल्याण- वा हरिदाभ श्वेत कलमें होती है, जो जल में नहीं कारी सिद्ध नहीं होती, तब एक्स-रश्मियों से प्रायः घुलतीं । दे० 'एसिडम् सैलिसिलिकम्” । लाभ होता है। विचर्चिका और चंबल वा अपरस | एगैट-[अं. Agate] एक प्रकार का बहुमूल्य में भी इनका प्रयोग उपयोगी सिद्ध हुआ है। पत्थर। विशेषतः हथेली और तलवे के रोगों में इसका | एगौरिक-[अं० Agaric ] दे. "अगारिक । उपयोग अति ही गुणकारी है। दद्, मांसाशी, | एग्ज़ाइल (येलो) ऑलियण्डर-[अं॰ exile व्रणों और प्रामाशयिक रोगों में भी इनका उपयोग (yellow) oleander ] पीला कनेर । हितकर प्रमाणित हुआ है। दूषित अर्बुद रोगों में पीत करवीर । भी इसका प्रयोग किया जाता है। सबसे विचित्र एग्जिलेरेंट-[अं० exhilarant ] आह्लादकारक । बात तो यह है कि न इनसे केवल वाह्य शरीर के । उल्लास-जनक । हर्वोत्पादक । मुफ़र्रिह । समीपवर्ती अबुदों में लाभ हुआ है, अपितु | एग्ज़कम्-[ ले० exacum ] दे॰ “एक्सेकम्" । शरीराभ्यंतरीय अबु'दों पर भी प्रभाव पड़ा है। एग्जोलस-पॉलिगेनम्-[ ले. exolus polygएक्स-रश्मियों द्वारा कर्कट-चिकित्सा विशेष ख्याति anum ] चौलाई। प्राप्त कर चुकी है। यदि रोगारम्भ में ही उसका एग्नाइन-[अं० agnine ] दे॰ “एडेप्सलेनी" । ठोक निदान हो जाय, तो शस्त्रकर्म ही श्रेष्ठतर | एग्यु- अं० ague] मैलेरिया ज्वर । विषम ज्वर । उपाय है। उक्त अवस्था में शस्त्र-कर्म के उपरांत ! एग्युरीन-अं० agurin ] एक प्रकार का सूक्ष्म एक्स-रश्मियों का उपयोग कल्याणकर होता है। चूर्ण, जो एक भाग, २ भाग जल में सरलतापूर्वक किंतु जब उसके निदान में विलम्ब हो वा किसी घुल जाता है । यह सोडियम् एसिटेट और थियोअन्य कारण से शस्त्र-कर्म असम्भव हो, तब एक्स- ब्रोमीनका एक यौगिक है। रश्मि-चिकित्सा हो श्रेष्टतर चिकि सा है। उक्त मात्रा-७ से १५ ग्रेन तक । सभी रोगों में एक्स-रश्मियाँ विकारी स्थल पर एग्य-वीड-अं० Ague-weed] (Grindelia डालो जाती हैं। परन्तु इस बात का ध्यान रखा Squarrosa ) दे. “ग्रिण्डेलिया" । जाता है, कि विकारशून्य शरीरांग सुरक्षित रहें। एग्रिमनी-[अं० Agrimony ] एक प्रकार का एखण्ड-[को०] acorus calamus वच। एखनी-संज्ञा स्त्री० [फा०] मांस का रस। मांस का | एग्रिमोनिया-युपेटोरियम्-(ले० Agrimoniaeuशोरबा । यखनी। मांस-रस । ___patorium, Linn.] ग़ाफ़िस । शत्रूतुल बरागोस । एखर-सं० अहिखर ] तालमखाना । कोकिलाक्ष । एखरो-[ गु० ] तालमखाना (बीज)। | एग्रोपाइरम्-[ ले० Agropyrum ] पर्याएस-[अं॰ egg ] (पक्षी आदि का) अंडा । एग्रोपाइरम् रीस Agropyrum Repeएगसांट-[अं॰ egg-plant] बैंगन । भंटा । ns, ट्रिटिकम् रीस Triticum Repens | (ले०)। कौचग्रास couchgrass, डाँग ग्रास भटा।

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