Book Title: Aadhunik Kahani ka Pariparshva
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 46
________________ ५० / आधुनिक कहानी का परिपार्श्व भावुकता का मधुरस घुला रहता है । अपने पाठकों को भावुकता के अविरल प्रवाह में बहा ले जाने की उनमें अद्भुत क्षमता है। चित्रविधान के अनुरूप उन्होंने शब्दों का चयन इस कुशलता से किया है कि वे सरस कोमलता उत्पन्न करते हैं और कहानियों में व्याप्त भावुकता की वृद्धि करते हैं । सुदर्शन का जीवन के यथार्थ से परिचय तो था, यह उनकी बाद की - कहानियों में लक्षित होता है, पर मूलतः वे आदर्शवादी कहानीकार थे । आदर्शवाद और सौन्दर्य सत्य की प्रतिष्ठापना ही उनका एकमात्र उद्देश्य था। उन्होंने मानव-जीवन के बहु-विधिय पक्षों का संस्पर्श करते हुए अपने चतुर्दिक दृष्टिकोण एवं क्षमता का परिचय देने की चेष्टा की तो है, पर उनमे वे वह यथार्थं नहीं फूंक पाए हैं, जो प्रेमचन्द की अपनी विशेषता थी । कठोर यथार्थ से प्रायः बचने की प्रवृत्ति के कारण ही उनकी अधिकाँश कहानियाँ काल्पनिक भावुकता का निर्माण करती हैं और हृदय को - स्पर्श कर उस पर अपना प्रभाव डालने में सफल होती हैं, पर बुद्धि को स्पर्श नहीं कर पातीं और न कोई स्थायी प्रभाव डालने में ही समर्थ होती हैं । उन्होंने प्रेम कहानियों में यह दृष्टि विशेष रूप से अपनाई है और उनमें सरसता एवं प्रवाह की ओर ही विशेष ध्यान दिया है, इसलिए -यदि सुदर्शन की कहानियों के पात्र जीवन के यथार्थ व्यक्तियों के स्थानापन्न प्रतीत हों, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने उन्हीं पात्रों को चुना है, जो भावुक हैं, काल्पनिक संसार में विचरण करते हैं और एक विचित्र प्रकार की स्वप्नशीलता लिए रहते हैं । उन्होंने उनका चित्रण भी उसी काल्पनिकता से आदर्शवादी आधार पर किया है । यद्यपि - यथासंभव उन्हें यथार्थता का आभास देने के योग्य बनाने की उन्होंने चेष्टा तो की है, पर वस्तुतः वे यथार्थ हैं नहीं, निर्जीव ही रह जाते हैं । हाँ उन्हें मर्यादित और संयमित रखने की दिशा में उनकी निरन्तर प्रयत्नशीलता लक्षित होती है । मनोविज्ञान का प्रयोग पात्रों का अन्तर्द्वन्द्व • स्पष्ट करने में उन्होंने किया है और उनके अन्तस् तथा वाह्य का

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