Book Title: Aadhunik Kahani ka Pariparshva
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 90
________________ आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/१५ भी कथानक को 'स्टोरी पौयज़न' कहा जाने लगा है । एक आलोचक ने लिखा है : The modern story-teller has not dispensed with incident or anecdote or plot and all their concomitants, but he has changed their nature. There is still adventure; but it is adventure of the mind...... Adventure for the moderns is an adventure through the jungle of human nature.' क्या आज की हिन्दी कहानी के सम्बन्ध में यह कथन अक्षरशः सत्य सिद्ध नहीं होता ? वास्तव में आज की कहानी में वातावरण और सामाजिक परिप्रेक्ष्य की प्रधानता हो चली है। घटना और पात्रों की अवतारणा किसी वैचारिक विशेषता या 'मूड' या जीवन का कोई विशेष पक्ष उभारने की दृष्टि से अधिक होती है और उस समय उसमें निबंधगत विशेषताएँ दृष्टिगोचर होने लगती हैं। ____ इन सब विषयगत और शैलीगत नवीनताओं के बावजूद आज की कहानी को पुरानी परम्परा से एकदम विच्छिन्न धारा मान लेना असंगत .होगा। प्रथमतः, तो आज की कहानी अपनी जन्मजात परम्परा का भार वहन कर रही है, अपने ढंग से कर रही है, यह दूसरी बात है और जो स्वाभाविक भी है । द्वितीयतः, जीवन और वैचारिक एवं कलात्मक परम्पराओं को खण्ड-खण्ड रूप में देखना उन्हें ग्राम्य-भाव से देखना है । विश्व-व्यापी परिवर्तन का मूल और सर्वाधिक निकट कारण द्वितीय महायुद्ध की विनाशकारी लीला है। उस समय मनुष्य ने अपने को : फैकेन्सटाइन' का आविष्कारक पाया,अपने को 'भस्मासुर' के रूप में पाया, जिसके फलस्वरूप उसकी अपने में ही आस्था हिल उठी । ऐसी परिस्थिति में धर्म, ज्ञान-विज्ञान, दर्शन आदि सभी क्षेत्रों में पुरानी मान्यताओं और भावभूमियों का ध्वस्त होना स्वाभाविक था। साथ ही नई मान्यताओं एवं आस्थाओं और भावभूमियों की निश्चित स्थापना के अभाव में तनाव, अराजकता तथा निरर्थकता का बोध होना भी स्वाभाविक है।

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