Book Title: Aadhunik Kahani ka Pariparshva
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 126
________________ १३२ / आधुनिक कहानी का परिपार्श्व 'अनबीता व्यतीत', 'तिष्यरक्षिता की डायरी', 'किसका बेटा', 'वह मर्द थी' तथा 'निशाऽऽजी' उनकी उपलब्धियाँ हैं । धर्मवीर भारती नई पीढ़ी के उन महत्वपूर्ण कहानीकारों में हैं, जिन्होंने आधुनिक कहानी को उसके वास्तविक अर्थ की गरिमा दी है । 'चाँद और टूटे हुए लोग' नामक कहानी-संग्रह की 'धुआँ', 'मरीज़ नम्बर सात', 'हरिनाकुश का बेटा' तथा बाद की 'गुल की बन्नो', 'सावित्री नम्बर दो', 'यह मेरे लिए नहीं' तथा 'बन्द गली का आखिरी मकान' आदि कहानियाँ कथ्य एवं कथन दोनों ही दृष्टियों से उल्लेखनीय रचनाएँ हैं । भारती मूलतः कवि हैं और इसलिए उनकी कहानियों में भी काव्यरस सहज-स्वाभाविक रूप से व्याप्त हो गया है । चित्रोपम प्रवाहपूर्ण भाषा, अनूठी व्यंजनात्रों एवं प्रतीक विधानों के माध्यम से उन्होंने प्रगतिशील प्राधार भूमि पर आधुनिक जीवन की करुणा, व्यथा एवं विसंगतियों का अनूठा चित्रण किया है । भारती की कहानियों में नैराश्य एवं कुंठा की सतही दीवारों की पृष्ठभूमि में जीवन जीने की अदम्य आकांक्षा, अपूर्व जिजीविषा, आस्था एवं संकल्प का संबल प्राप्त. होता है । उनकी हाल की प्रकाशित कहानी 'यह मेरे लिए नहीं' में उन्होंने मुख्य पात्र दीनू के माध्यम द्वारा एक विराट पृष्टभूमि को अपनी सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि से अत्यन्त कुशलतापूर्वक समेटा है और उसमें आज की समूची नई पीढ़ी की ट्रेजेडी, पीढ़ियों का संघर्ष, मनःस्थितियों की विषमताएँ एवं भाव विचारों का सन्तुलन असन्तुलन स्पष्टतया उभर कर सामने आया है । इस या दूसरी अन्य कहानियों की प्रमुख विशेषता उनका यथार्थ परिवेश और संवेदनशील आधार पर पात्रों को पूर्ण सहानुभूतिपरक दृष्टिकोण से चित्रण है | इतना होने के बावजूद भारती उनमें कहीं 'इन्वात्व' नहीं होते और पूर्ण तटस्थता एवं निर्वैयक्तिकता के साथ चित्रण करते हैं - यह एक बड़ी चीज़ है । भारती की प्रारम्भिक कहानियों के कथानक स्थूल हैं, पर बाद की

Loading...

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164