Book Title: Yugadi Vandana Author(s): Dharnendrasagar Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AND युगादिवन्दना युगादि पुरुषेन्द्राय युगादि स्थिति हेतवे । युगादि शुद्ध धर्माय युगादि मुनये नमः ॥१॥ श्रीमद् युगादीश्वरमोत्मरूपं योगीन्द्र गम्यं विमलाद्रिसंस्थ । सद्ज्ञान सद्दृष्टि सुदृष्टि लोकं श्री नाभिसूनुं प्रणमामि नित्यं ।।२।। राजादनाऽधस्तन भूमिभागे युगादि देवांघ्रिसरोजपीठं । देवेन्द्रवन्धं सुरराजपूज्यं सिद्धाचलापस्थितमर्चयामि ॥३॥ दर्शयन् वर्त्म वीराणां, सुरासर नमस्कृतः । नीतित्रयस्य कर्ता यो युगादि प्रथमो जिनः ।।४।। युगस्यादौ त्वयासेन ? ज्ञानत्रय युतेन । जनन्या मरुदेवायाः पावनं जठरं कृतम् ।।५।। सेन्द्र श्रेणिननः श्रीमान् नन्दतान्नाभिनन्दनः । उद्धार युगादौयो जगदज्ञानपङ्कतः ।। (उपजाति) ॥६॥ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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