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जिल्हायेनारिमाजस॥ नाकें नित्य वासना ले तो ॥ मुखं श्रीरुलभु स्वैन के तो॥ २५॥ करें पुरणविकर्म कस्यां ॥पमें पगलां पापमांभस्यां ॥ जेजे वड था ये शुभकर्म ॥ ते ते वये कस्ले प्रधर्म ॥ २६॥ राशिबी व्याधर्मराय ॥ रायुपापितेंकसी अन्य | कसा गुणन जांण्या तें के म
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