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जे नें कउं छं श्री कृछत्र मे रे ॥ तेजश्री हरी समको त में रे ॥ २६ ॥ एद सर्वसु खनुं छेषां मरे ॥ कख दाइश्री घनशा मरे ॥ जंन इछे फस्वी थावा जे हरे ॥ २० ॥ ते हविन्य नथि रूख था वारे ॥ जन्म मरण महा दुःख जाबारे ।। कांला मेनुकांते ना जंनरे ॥ सु खि या वा गंममा नो मंनरे ॥३०॥नथि
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