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॥ तियांजल पिवानें जो जा वे रे ॥ १७ नदियेपिवावरुंग निचो कि रे प्या सेरा ख्मा घाटरो किरे ।। पछें अशु
मरे
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भूजल नें गो तेरे ते द विन्यानविताये भुतें रे ॥ १६ ॥ पियेगुदराना धोया पी सिरेि ॥ च्प्रति स प्र शुद्ध राजांलिरे ॥ कांतोजींग भंग धोखुं तो येंरे भुत तनें विवानुं सो ये रे ॥ २०॥ नर्कथकि
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