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ममतें नथाई मनमुखि रे ॥ नोयेक व्यागाध मुजिप खिरे ॥५४॥ यमदं उनामेले या ग्रंथ रे ॥ ते मां न चरो हो अर्थ || लेग नुनुं श रे । तारें रिलेजनमनें म रा रे ॥९५॥ जन्म म राती यां जम जांगोरे ॥ ज म आ वेरा दुख पर मांगोरे | जांगो दुःख र लिकखथा रे तारे पगरप्रभुपा से जा रे ॥ ५६॥ कवो
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