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य. जोने कांमभावें भजीगोपीरे ॥ कुल १४ वेदमर्यादा नें जो पिरे ॥ १७ ॥ नयें भ
जी या कंश पाजरे ॥ क्रोध भावेभ ज्या शिशुपाल रे ॥ स्ने देव रूदेव नें देवकिरे ॥ दुष्टभावें करी भजिबकि रे ॥ १८॥ सखाभावे पांडव परमां गरे ॥ दास भावे उच्व सज्ञां ग रे ॥ एद आदिफखी थियां बरे । पगरप
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