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य. रहे भुभारहरवा मोरारि ॥ २३ ॥ द इदशपरशनुंदांन ॥ हरे के कजी वनुं ज्ञान ॥ तेनें तजीनेंच्या मागी न ॥ करेप्रन्य देवनुंभजन ॥ २४ ॥ का लिभैरव नुतनेविर॥पाधिमांनेया बलिया थिर ॥ तेने बलिदान देवाब वेस्छ । मारीजिवनेंकरेऊमेर ।। २५. || एवा पापिनिपरतितवावे ॥ तोय
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