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य. चौराशिचारांप॥ अथ वाचावेजों १७३ उत्तम तंन||मलेकुसंगतो मुलगा दं न॥४१॥ देश काल कियाध्यां नजेत् ॥ शास्त्र दिला मंच संगते हुए प्रवी होये जो प्रष्ट ॥ प्रा पेनाली के परजी के कष्ट॥४२॥ होय सवजातीसरे का म|| प्रांणी पामेश्री हरी धाम ॥ एड्स वर्षात सतसंग ॥ एवजनिक
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