Book Title: Vishwalochana Kosha
Author(s): Nandlal Sharma
Publisher: Balkrishna Ramchandra Gahenakr

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Page 384
________________ ३७० विश्वलोचनकोशः- [शान्तवर्गेशस्त्रेऽप्यथ पुटग्रीवो गर्गरीताम्रकुम्भयोः । वार्द्धषिके बलदेवः स्याद्वलदेवो बलेऽनिले ॥ ६३ ॥ रोहिताश्वो हरिश्चन्द्रतनये जातवेदसि । शैलेये सैन्धवे क्लीबं मिश्यां शीतशिवः पुमान् ॥ ६४ ॥ सहदेवा बलादण्डोत्पलयोः शारिवौषधौ । सहदेवी भुजङ्गाक्ष्यां सहदेवस्तु पाण्डवे ॥ ६५ ॥ वपंचमम् । स्यादाशितंभवस्तृप्तावन्नाद्ये त्वाशितंभवम् ॥ ६६ ॥ इति विश्वलोचनेऽपराभिधानायां मुक्तावल्यां वकारान्तवर्गः ॥ अथ शान्तवर्गः। शैकम् । शः शतायुषि हिंसायां शं धर्मे शा तु मातरि । शी स्त्रीषु स्वपरस्त्रीषु शीः स्यात्सदननिद्रयोः ॥ १॥ ___ शस्त्र (पुं० ) वपंचम। पुटग्रीव-गगरी, ताँबाका कलश आशितंभव-तृप्ति ( पुं० ) (पुं० ) . आशितंभव-अन्नादि ( न०) ६६ बलदेव-व्याजको लेनेवाला, बलभद्र, इसप्रकार विश्वलोचनकी भाषाटीकामें __ वायु (पुं० ) ॥ ६३ ॥ वान्तवर्ग समाप्तहुवा ॥ रोहिताश्व-हरिश्चंद्रराजाका पुत्र, अग्नि (पुं० ) अथ शान्तवर्ग । शीतशिव-शिलाजीत, सेंधानमक, शैक। ( न० ) सौंफ ( पुं० ) ॥ ६४ ॥ श- सौवर्षकी आयुवाला, हिंसा, सहदेवा-खरँहटीकी डंडी, कमल, (पुं०) सरिवन, ( स्त्री. ) श-धर्म ( न०) सहदेवी-खरँहटी, गंडनी (स्त्री० )| शा-माता (स्त्री०) सहदेव-पंड्डु राजाका एक पुत्र (पुं०)। शी-अपना, पराया, स्त्री, (त्रि०) ॥ ६५ ॥ श-मकान, निद्रा ( न०) ॥ १॥ "Aho Shrutgyanam"

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