Book Title: Vishwalochana Kosha
Author(s): Nandlal Sharma
Publisher: Balkrishna Ramchandra Gahenakr

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Page 417
________________ शद्वितीयम् ।] भाषाटीकासमेतः। ४०३ दक्षा पृथिव्यामाख्याता ध्वानी कक्कोलिकौषधौ ॥ ७ ॥ ध्वानस्तु वायसे कके गृहे तक्षकभिक्षुके । न्यक्षः परशुरामे स्यान्युक्षः काय॑निकृष्टयोः ॥ ८ ॥ पक्षः केशात्परो वृन्दे पक्षो मासार्द्धपार्श्वयोः । गृहभित्तौ ग्रहे भृत्ये सख्यौ राजगजे बले ॥ ९ ॥ साध्ये गरुति देहाङ्गे चुल्लिरन्ध्रविरोधयोः । न्यायानुसारके प्रेक्षः प्रेक्षा नृत्येक्षणे गतौ ॥ १० ॥ प्लक्षस्तु पिप्पले जङ्घद्वारपार्श्वे गृहस्य च । द्वीपभेदे गर्दभाण्डे भिक्षुकीतिविशेषयोः ॥ ११ ॥ भिक्षा भृत्यर्थनासेवाखपि भिक्षितवस्तुनि । मोक्षोऽपवर्गे मृतौ च मोक्षो मुप्ककपादपे ।। १२ ।। दशा-पृथ्वी, ( स्त्री०) पक्षीको पंख, शरीरका अंग्ग, चू'स्वांनी-कंकोल औषधि, ( स्त्री. ) लहेका छिद्र, विरोध, (पुं०) प्रेक्ष-न्यायके अनुसार चलनेवाला चांक्ष-काग, कंकपक्षी, घर, तक्षक सर्प, भिक्षुक (पुं०) प्रेक्षा-नृत्य देखना, गमन (स्त्री० ) ॥ १० ॥ न्यक्ष--परशुराम (पुं० ) न्युक्ष. प्रश्न-पीपल-वृक्ष, जंघाका और घ संपूर्ण, निकृष्ट (खराब ) (त्रि० ). रका द्वार तथा पसवाडा, द्वीपभेद, ॥ ८ ॥ पारसपीपल, भिक्षुकीभेद, ईतिभेद, केशपक्ष केशसमूह, पक्ष-महीनाका (पुं० )॥ ११ ॥ अर्धभाग, शरीरका एक तरफका भिक्षा-नौकरी, मांगना, सेवा, माँगी भाग, घरकी भीत, ग्रह, भृत्य हुई वस्तु, ( स्त्री०) (नौकर), मित्र, राजाका हस्ती, मोक्ष-मोक्ष, मृत्यु, मोखा-वृक्ष, (पुं०) ॥९॥ सेना, साध्य (न्याय-पक्ष), ॥१२॥ "Aho Shrutgyanam"

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