Book Title: Vipaksutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 726
________________ विपाकश्रुते हृदयोड्डापनप्रयोगैः चित्ताकर्षणप्रयोगैः कायोड्डापन तकरणादिप्रयोगः प्रयोगैः = कायाकर्षणप्रयोगैः = योगप्रयोगैः = पराभिवनप्रयोगैः वशीकरण प्रयोगैश्चेति संग्रहः, 'अभिओगित्ता' अभियुज्य = वशीकृत्य 'उरालाई ' उदारान् 'माणुस्सगाई ' मानुष्यकान् = मनुष्यसम्बन्धिनः ' भोगभोगाई ' भोगभोगान् =शब्दादिविषयभोगान् 'भुंजमाणी' भुञ्जाना = कुर्वति 'विहर' विहरति । 'त णं सा' ततः खलु सा 'पुढवीसिरी गणिया' पृथिवी श्रीगणिका 'एयकम्मा ४' एतत्कर्मा४ - चूर्ण प्रयोगादिना राजेश्वरादिवशीकरणपूर्वक विषयभोगकारिणी, एतप्रधाना - चूर्णप्रयोगादितत्परा, एतद्विद्या- चूर्ण प्रयोगादिविद्यावती, एतत्समाचारा = एतदाचरणशीला, 'सुबहु पाचे' सुबहु पापं 'समज्जिणित्ता' समय = समुपाये 'पत्तीसं वाससयाई' पञ्चत्रिंशद्वर्षशतानि 'परमाउयं' परमायुष्कम्= उत्कृष्टमायु: 'पालित्ता' पालयित्वा 'कालमासे कालं किच्चा' कालमासे कालं प्रयोगों से, उन्मत्त बनाने वाले साधन आदि के प्रयोगों से, चित्त को आकर्षित करने वाले, काय को आकर्षित करने वाले, दूसरों का तिरस्कार करने वाले एवं वश में करने वाले ऐसे मंत्रादिकों के प्रयोगों से अपने वश में करके 'उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंजमाणी विहरई ' उदार मनुष्यभव संबंधी कामभोगों को भोगा करती थी । 'तए णं सा पुढवीसिरी गणिया एयकम्मा४ सुबहु पात्रं समज्जिणित्ता पणत्तीसं बाससयाई परमाउयं पालित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्टीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोत्रमहिइएसु णेरइएस्रु णेरइयत्ताए उबवण्णा' इस प्रकार वैषयिक सुख भोगते२ उसने अनेक पापकर्मों का उपार्जन करने में ही पैंतीस सौ ३५०० वर्ष की अपनी समस्त आयु व्यतीत कर दी । जब वह मरी વનારાં સાધન અને તેવા પ્રયાગાથી, ચિત્ત આકષણુ કરનારા પ્રયાગેથી, કાયાનું આકણુ કરનારા પ્રત્યેાગેથી, ખીજાને તિરસ્કાર કરનારા–અર્થાત્ વશ કરનારા પ્રત્યેાगोथी मेवा मंत्राहि प्रयोगो वडे पोताने वश अरीने ' उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहर' भनुष्यलव संबंधी हार अभलोगोने लोगवती हुती. 'तरणं सा पुढवीसिरी गणिया एयकम्मा४ सुबहु पात्रं समज्जिणित्ता पूणत्तिसं वाससयाइँ परमाज्यं पात्रता कालमासे कालं किच्चा छट्टीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोत्रमहिइएस णेरइएस णेरइयत्ताए उबवण्णा' भी प्रभा વિષય સુખ ભાગવતાં ભાગવતાં તેણે અનેક પાપકર્માની કમાણી કરવામાં જ પાંત્રીસસો વર્ષની પોતાની તમામ આયુષ્ય વીતાવી દીધી. અને તે મરણ પામ્યા ૩૫૦૦ ६९४ =

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