Book Title: Vipaksutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 825
________________ श्री विपाकश्रुतस्य शुद्धिपत्रम्अशुद्धिः शुद्धिः नं. 1 घणानं ते राईसर० ले समपस 3 अंतिए पंचाणुवयं यमापं ते राईसर-तलवर-माडबिय-कोडुपिय-इन्भ-सेहि सेगाव-सत्यवाह-प्पमियो जे पं समणस अंतिए मुंडा जाब पयंति, पगाणं ने राईसर० जेणे समस्स३ अंतिए पंचाणुब्बइयं जार 42 5 2 मुक्तसिता 3 प्रवज्याप्रम 4 आनते आनताल्ये नवमे देवलोके उत्कृष्टविंशतिसागरोपमन्यितिकेषु इसित्ता प्रव्रज्याप्रणं आनते आनतात्ये नवमे देवलोके उत्चष्टकोनविंशतिसागरोपमस्यितिकेषु 5 उत्कृष्ट एकविंशति......... उत्क विति........ . हिन्दी में जवन्य 28 जयत्य 18 पन्य 28 પર્યાયમાં 20 વસિ ઉઝ ઉન્ન થ परवीना रबन्य 18 માં હુક્ત પદે પ ક

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