Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ CMD5055015106505 विधानुशासन 950151015101510551015 तेषु विद्यानुवादारख्यो यः पूर्वो दशमो महान मंत्र यंत्रादि विषयः प्रथते विदुषां मतः उनमें से जो विद्वानों से सन्मान किया हुआ विद्यानुवाद नाम से दसवाँ महान पूर्व प्रसिद्ध है उसमें मंत्र और यंत्रादि का विषय है। ॥९॥ 1 ग्रन्थ की रचना | तस्यांशा एव कतिचित्पूर्वाचास्रनेक धा स्वां स्वां कति समालंब्य कृताः परहितैषिभिः ॥१०॥ दूसरों का हित चाहने वाले आचार्यों ने उसी के कई अंशों का अनेक प्रकार से अपने अपने ग्रज्यों में वर्णन किया है। उद्धत्य वि प्रकीर्णेभ्यः स्तेभ्यः सारं विरच्यते। ऐदं युगीनानुदृिश्य मंत्रान विद्यानुशासनं ॥११॥ उन अनेक प्रकार के बिखरे हुये ग्रन्या का सार लेकर आज कल के युग के मंत्रों को प्रकट करने के उद्देश्य से विद्यानुशासन की रचना की जाती है। । अथ मंत्री लक्षण विधिमंत्राणां लक्ष्म सर्वपरिभाषा: सामान्यमंत्र साधन मुक्तिः सामान्य यंत्राणां ॥१२॥ गर्भोत्पत्ति विधानं बाल चिकित्सा गृहोपसंग्रहणं विषहरणं फणितंत्र मंडल्याद्यपनयोरुजां शमनं ॥१३॥ कृत रूग्वधो बधः प्रति विधानमुच्चाटनं विद्वेषः स्तंभन शांतिः पुष्टि वश्यं स्याकर्षणं नम ॥१४॥ अधिकारांःशास्त्रे स्मिन्नमी संख्यानं चतु विशंति : क्रमाकथिताः पंच सहस्त्रास्य ग्रंथानां भवति संव्यानं ॥१५॥ CHRI5015TOROSCO PERISIPISIOISIOISTRADESH

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 1108