Book Title: Varttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Author(s): Bakhtavarsinh
Publisher: Bakhtavarsinh
View full book text
________________
चौबी० डो ह्रीं श्री ऋषभनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याणं प्राप्ताय जन्म पूजन
मृत्यु जरा रोग विनाशनाय जलं निपामीति स्वाहा। ... संग्रह | चंदन-शुभ श्वेत हर गो सीरलायो घप्त कटोरी में धरे तिस गंधते षट् पद समूह जुआन के रख बहु करे। . ४४४ नृप नाभिराय जुबंश नभमें इंदु ऋषभ जिनंदही,पूजं सुहित कर चरणअंबुजहरत जग के फंदही।
रों ह्रीं श्री ऋषभनाथ जिनेंद्राय गर्भ.जन्म, तप,ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय संसारा
ताप रोग विनाशनाय चंदनं निवपामीति स्वाहा ॥ अक्षत-इन रागद्वेषन में सतायो मलिन नित उर ही करें।यातेसुशशि सम गोर अक्षत आन तुमआगेध।
नृप नाभिराय जुवंश नभ में इंदु ऋषभ जिनंद ही,पूजू सुहित कर चरणअंबुज हरत जगके फंदही। __ह्रीं श्रीऋषभनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अक्षय
पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा ॥ - पुष्प-बेला चमेली दोन मरुवा सुमन प्रासुक लायके,तिस सुरभते दश हं दिशाके गुंज ह अलि आय के।
नृप नाभिराय जुबंश नभ में इंदुऋषभ जिनंदही, पूजूंसुहित कर चरणअंबुज हरत जग के फंदजी।
डों ह्रीं श्री ऋषभनाथ जिनेन्द्रीय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय काम
... वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपातीति स्वाहा ॥ : नैवेद्य-पकवानहु विध वने ताजे थाल में भरलायहूं,जड क्षुधारोग अनादिही को तास को जुनसाय हूं। .

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 245