Book Title: Varttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Author(s): Bakhtavarsinh
Publisher: Bakhtavarsinh

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Page 8
________________ चौबी० पूजन संग्रह ४४२ ___ छंद पद्धडी-जयनाभिनंदकुल चन्द्रनाथ,जय अजितनाथ कीजेसनाथ जयसंभव वसुअरिखयकरंत जय अभिनंदन ऋषिगण नमंत ॥२॥ जय धीरधुरंधर सुमति देव, जय पनचरण हरि करत सेव । जय देव सुपास अनाथनाथ जय नम चंद्र प्रभु जोर हाथ ॥३॥ जय पुष्पदंत वपुसुमन खेत, जय शीतल जिन निज बास देत। जय श्रेय करन तुम श्रेय नाम,जय वासुपूज्य जीत्यो सुकाम ॥४॥ जय विमल कर्म रिपु करत चूर, जय अनंत जिनेश्वर धर्म पुर । जय धर्म धुरंधर धर्मधीश । जय शांतिनाथ शिव नगर ईश ॥५॥ जै कुंथु कुंथु रक्षक दयाल,जय अरजिनवर मित्रा सुवाल।जय हतो मोह श्रीमल्लिवीर, जय मुनि सुत्रत जिन देॐ धीर ॥६॥ जय मघवा बंदित नमि जिनंद, जय सुमति कुमोदन नेमि चंद । जय पावकमठ को मद नसान । जय वीर धीर किरपा निधान ||७|| जय दीनन के रछपालनाथ, जय संकट में तुम होत साथ । तुम ही सब लायल हो दयाल, बखता रतना को कर निहाल ॥८॥ छंद नंद-चौवीसों स्वामी अन्तर्यामी त्रिभुवननामी हितकारी। तुम हो सब लायक शिव सुखदायक पाप पलायक जग त्यारी ॥९॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादि महावीर पर्यन्त चतुर्विशति जिनेन्द्रेभ्यो गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान निर्वाण पंच कल्याण प्राप्तेभ्यो महाऽघनिर्वपामीति। अथ आशीर्वादः-कवित्त-चोवीसों जिन चंद तनी जे पूजा करें पढ़ें हितलाय, तिनके पुत्र मित्र बहु संपतवाढे नितप्रति सुख अधिकाय । ईंत भीति कबहु न व्यापे,सुने पाठ जे चित्त लगाय,रोग शोक | दारिद्रय विनाशे, अनुक्रम शिवपुर राज करराय ॥१२॥इति श्री वर्तमान चतुर्विंशति जिन पूजा संपूर्णी । ||

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