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प्रकाश स्रोत
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क्वांटम सिद्धान्त में अवक्तव्यता दर्शाने वाला एक प्रयोग
जिसमें यह विवेचित किया है कि बिना अवक्तव्यपने का सहारा लिए इस प्रयोग ने इलेक्ट्रान के विषय में निम्न कथन क्वांटम सिद्धान्त स्वीकार करता है
1. कथंचित (किसी अपेक्षा से) इलेक्ट्रान कण है। 2. कथंचित (किसी अपेक्षा से) इलेक्ट्रान कण नहीं है। 3. कथंचित (किसी अपेक्षा से) इलेक्ट्रान कण है व कण नहीं भी है। 4. कथंचित (किसी अपेक्षा से) इलेक्ट्रान का स्वरूप अवक्तव्य है। 5. इलेक्ट्रान का कण रूप कथंचित अवक्तव्य है। 6. यह कथंचित अवक्तव्य है कि इलेक्ट्रान का कण रूप नहीं है।
7. इलेक्ट्रान कण रूप है या कण रूप नहीं है, यह कथंचित अवक्तव्य है। कुछ वैज्ञानिक खोजें/आविष्कार
वायुयान - जिस वायुयान को राइट बंधुओं की देन मान रहे हैं, इसका वर्णन छत्रचूड़ामणि नामक ग्रंथ के श्लोक 1/37, 38 में केकी यंत्र मचीकरत, व्यजीहरच्य यंत्रस्था में मिलता है।" जिसमें सत्यंधर क्षितिश्वर ने अपनी विजया रानी के गर्भस्थ शिशु की रक्षा हेतु केकीयान बनवाकर उसे आकाश मार्ग से राजपुरी के निकट शमघाट तक भेजा था। 12
पद्मपुराण पर्व 52 श्लोक 17 के अनुसार हनुमान विमान में बैठकर आकाश में गमन कर रहे थे तब उन्होंने दधिमुख द्वीप में दो चारणरिद्धिधारी मुनियों को महाअग्नि से ग्रसित देखकर कृत्रिम वर्षा कर उनकी रक्षा की थी।
जिस शब्द को टेपरिकॉर्ड में रिकॉर्ड करने की बात कर रहे हैं, इसे ज्योतिर्धर ज्योतिपुंज सर्वज्ञ ने अपनी दिव्यदेशना में 23 वर्गणाओं के अंतर्गत भाषा वर्गणा के सम्बन्ध में उपदिष्ट किया था कि भाषा वर्गणायें लोक में सघन रूप से व्याप्त हैं। इनकी अपनी नियत होती है, अपनी निर्धारित समय सीमा तक इसी रूप में अव्यवस्थित रहती है, पश्चात् शब्दातीत हो जाती है, इस बीच हम उन्हें यथा रूप में सुन सकते हैं। ऐसी क्षमता इनमें स्वयं निहित है। शब्दों को नल, बिल, रिकार्ड आदि में नदी के जल की भांति रोका जा सकता है। तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2008
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