Book Title: Tulsi Prajna 2004 07
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 27
________________ 12. कुमाऊँ के देवालय, जगदीश्वरी प्रसाद, पृ. 207 13. दत्त्वा रुद्धगति: खसाधिपतये देवी ध्रुवस्वामिनी, यस्मात्खण्डित साहसो निववृते श्री शर्मगुप्तो नृपः। गीयन्ते तव कार्तिकेयनरे स्त्रीणां गणैः कीर्तयः॥ -उत्तराखण्ड का इतिहास, खण्ड-1 पृ. 385, डॉ. शिवप्रसाद डबराल 'चारण', वीरगाथा प्रकाशन, दोगड्डा, गढ़वाल 14. कुमाऊँ के देवालय, जगदीश्वरी प्रसाद, पृ. 205 15. आर्केइओलॉजी ऑफ इण्डिया, कनिंघम, खण्ड-1 पृष्ठ 252 16. कुमाऊँ का इतिहास, बद्रीदत्त पाण्डेय, पृ. 53-54 17. पिथौरागढ़ः संस्कृति और पुरातत्त्व, अंक 1, 1986, पृ. 7-8 (वाटर्स, पृ. 315-322) 18. पिथौरागढ़ः संस्कृति और पुरातत्त्व, पृ. 14 19. कुमाऊँ के देवालय, जगदीश्वरी प्रसाद, पृ. 204 20. हिमालय का इतिहास, भाग-1, डॉ. मदनचन्द्र भट्ट, विभागाध्यक्ष इतिहास, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोपेश्वर (चमोली), पृष्ठ 22 1981 21. कुमाऊँ के देवालय, जगदीश्वरी प्रसाद, पृ. 199 22. कुमाऊँ तथा डॉ. आर.सी. मजूमदार- 'चम्पा', पृ. 65, 359, राहुल सांकृत्यायन डॉ. कमला पन्त C/o प्रो. जे. एन. जोशी कृष्णापुर महल कृष्णापुर तल्लीताल नैनीताल, यू.पी. 22 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 125-126 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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