Book Title: Trigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Author(s): Lakshmivijay
Publisher: Bhogilal Kalidas Shah

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Page 8
________________ ( ८ ) २८ ५२ तीर्थङ्करने अर्थे देवोएकरेलुं समवसरणतीर्थङ्कर केम भोगवेछे ? २८ ५३ कइ जग्यो देवता समवसरणनी रचना करे ? ५४ समवसरणमांबारेपर्षदा बेसीनेप्रभुनी देशनासांभलेके केम. २८ ५५ समवसरणमां प्रभुना विश्रामार्थे देवताओ देवच्छंदानी र २९ चना क्या करे ? ५६ भगवाननी पहेला पहोरनी देशना पूर्ण थया पछी बीजे पहोरे गणधर महाराज क्या बेसी देशना दे ? २९ ५७ श्री ऋषभदेवना प्रथमगणधरनुंनामपुंडरीक छेके ऋषभसेन छे ? ३० ५८ श्रीऋषभदेवस्वामिने प्रथमपारणेकेटला से लडीरसनाघडाक० ३० ५९ जो दीक्षा दिवसथी ( चैत्र वद ८ थी ) पारणाना दिवस सुधी (वैशाख सुदीज सुधी ) गणीए तो, इत्यादि ? ३० ६० श्री नेमिनाथने केटला गणधर कह्या छे ? ३१ ६१ श्री नेमिनाथनी अपराजित विमानमां केटली स्थिति हती ? ३१ ६२ विजयादि चार विमानमां देवोनी जघन्य तथा उत्कृष्ट स्थिति केटली निवेदन करेली छे ? ६३ पंडित श्री वीरविजय गणि वर्यकृत पंचकल्याणक पूजामां " देवदूष्प इन्द्रेदियुंरे रहेशे वर्ष चत्ततीस नमो० " आम कहां छे त्यां "चत्ततीस" शब्दे करी केद्रलां वर्ष जाणवां ? ३२ ६४ श्रीवीरप्रभुना मातापिता कए देवलोके गया ते कहो ६५ जेम पहेला छेला तीर्थङ्करना शरीरमान विषे भेद छे तेम बळ विषे भेद केम नहीं ? ६६ श्रीमहावीरस्वामिना तीर्थमां कया नव जीवोए तीर्थङ्करनाम कर्म उपार्जन कर्य ते कहो ३३ ३३ **** .... .... .... .... .... .... .... 1000 .... **** ६७ पद्मनाभादि २४ तीर्थङ्कर क्यां मोक्षे जशे ..... ६८ केटलाक कहे छे के रावण आवती चोवीसीमां तीर्थङ्कर थवाना छे ते वात खरी छे ? .... .... ३२ ३४ ३५ ३६

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