Book Title: Trigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti Author(s): Lakshmivijay Publisher: Bhogilal Kalidas Shah View full book textPage 6
________________ "2222222 १९ आ चपळ लक्ष्मीनुं फळ शुं ते कहो. २० तप केवो करवो ते फरमावो. .... .... १० २१ तपथी निकाचित कर्मनो नाश थाय ? २२ परिग्रह कोने कहेलो छ ? २३ लोभनुं दुर्लभपणुं शास्त्रमा शी रीते वर्णवेलुं छे ते कहो. ११ २४ भोगनुं तथा उपभोगनुं स्वरूप समजावो. २५ प्राणिोनुं अंतरंग मन शी रीते जणाय ? २६ कोनो पार पामी शकायछे अने कोनो पार पामी शकातो नथी ते कहो. .... .... .... .... १३ २७ आ संसारमा स्त्रीरूपी पाश कोणे मांडयो छे ? .... १३ २८ कोनी तेजवृद्धि थायछे अने कोना रूपनो नाश थायछे ते ___ दृष्टान्तपूर्वक कही बतावो. .... १३ २९ मावापनी भक्ति करनार माणसनुं वर्णन करो .... १३ ३० पुण्यानुबंधि पुण्यकयु कहेवायके जेथी प्राणीमनुष्यरूपी सारा भवमाथी नीकळीने तेथी वधारेसाराएवा देवभवमा जायछे ? १४ ३१ " संसारदावा "० ए नामनी स्तुति कोणे करी छे ?.... १४ ३२ उद्योतपंचमी स्तुतिमा “देवाधिदेवागम" दशमो सुधा कुंड छे एम जो कहां छे तो बीजा नव सुधाकुंड क्यां छ? १४ ३३ श्रीयशोविजयकृत नवपदनी पूजा वीगेरेमा आजकालना केटलाक लोको " अथ्थमिए जिनसूरज केवळवंदे जे ज गदीवो" आम बोलेछे ते खरुं छे के केम ? .... १५ ३४ जेम मुनिमहाराजो कोइ प्रत्ये कहे छे के अमुक माण सने धर्मलाभ कहेजो तेम तीर्थङ्कर भगवान् कहे ? .... १६ ३५ २४ तीर्थङ्कर क्यां मोक्षे गया अने ते केवा आसने रह्या थका मोक्षे गया ?Page Navigation
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