Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 09 10
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 87
________________ ७२ ] श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे प्रथम इर्या, भाषा द्वितीय, एषणा तीसरी कही, आदान और निक्षेप भाव, की कही चौथी यही । उत्सर्ग नामी पंचमी है, संयम पालित करो सही, पाँच समिति तीन गुप्ति, अष्टप्रवचनमाता कही ॥ 5 सूत्राणि - उत्तमक्षमा मार्दवार्जवशौच सत्य संयम तपस्यात्गाऽऽकिन्चन्य ब्रह्मचर्याणि धर्मः ॥६॥ अनित्याशरण संसारैक्त्वान्यत्वाशुचित्वास्रवसंवरनिर्जरालोकबोधिदुर्लभधर्मस्वाख्यात तत्त्वानुचिन्तनमनुप्रेक्षा ॥७॥ * हिन्दी पद्यानुवाद [ क्षमा, मार्दव और आर्जव, शौच संयम सत्य भी । तप त्याग आकिंचन्य, शील औ यति धर्म सभी ॥ अनित्य पहली भावना है, अशरण संसार की । एकत्व चौथी और पंचम भावना अन्यत्व की ॥ अशुचित्व की भावना है, आश्रव संवरत्व की, निर्जरा लोकानुप्रेक्षा, बोधिदुर्लभ धर्म की । ये भावना द्वादश कहीं है, तत्त्वचिन्तन मर्म ही, भावना या तत्त्वचिन्तन, ये अनुप्रेक्षा कही ॥ * परिषह वर्णन ९ । १ 5 सूत्राणि - मार्गाच्यवन-निर्जरार्थ- परिषोढव्याः परिषहाः ॥८॥ क्षुत्पिपासा शीतोष्ण दशम शमशकनान्यारति स्त्रीचर्या निषद्या शय्याऽऽक्रोशवध याचनाऽलाभरोग-तृणस्पर्श - मलसत्कार - - पुरस्कार-5 - प्रज्ञाऽज्ञानादर्शनानि ॥ ९ ॥ सूक्ष्म संपरायच्छद्मस्थवीतरायोश्चतुर्दश ॥ १० ॥ एकादश जिने ॥ ११॥ बादर - संपराये सर्वे ॥ १२॥

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